Coronavirus in Maharashtra: लॉकडाउन के बहाने फिर लौटा 80-90 का दशक, पीडीएफ फाइल में आए चाचा चौधरी और नागराज
Coronavirus in Maharashtra: लॉकडाउन के बहाने फिर लौटा 80-90 का दशक, पीडीएफ फाइल में आए चाचा चौधरी और नागराज
डिजिटल डेस्क, नागपुर। लॉक डाउन के बहाने फिर 80 से 90 का दशक लौट आया है। जी हां बचपन में चाचा चौधरी, चंपक, नागराज, पिंकी और पंचतंत्र की कहानियां हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुकी थी। शनिवार और रविवार वीकएंड्स के दो दिन तो मानों इन किरदारों के साथ एक अलग ही दुनिया होती थी। इंतजार रहता था कि कौन सी नई कॉमिक्स मार्केट में आ गई है, फिर पॉकेट मनी बटोरकर जब तक कॉमिक्स खरीद न लें, मन नहीं मानता था।
इस समय घरों में बैठे लोग इसे ऑन लाइन भी खूब पढ़ रहे हैं और अपने बच्चों को भी बड़े चाव से इन कैरेक्टर्स के नाम बता रहे हैं। वहीं दूसरी तरफ रामायण और महाभारत जैसे टीवी सीरियल का प्रसारण फिर शुरु हो गया है। जिससे साफ लग रहा है कि मनो पुराने फैशन की तरह की, वो पुराना दौर फिर लौट आया है।
इनका कहना है कि उस समय जब कहीं छुट्टियां मनाने जाते थे, तो कॉमिक्स साथ ही होती थी। रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन से नई कॉमिक्स खरीदने की ललक सी रहती। जिसे पढ़ने के बाद आगे दोस्तों को दिया करते थे। ऐसे में अगर दो-तीन भाई बहन होते थे। उनमें होड़ होती थी कि पहले कौन पढ़ेगा।
इसके बाद जहां अपने बच्चों को भी कॉमिक्स की पीडिएफ दी, साथ ही दूसरे ग्रुप में भी भेजनी शुरु कर दी, तांकि ज्यादा सो ज्यादा लोग अपने घरों में बैठकर इन दमदार किरदारों को पढ़ सकें।
उर्वेश मेश्राम, हरीश, अभिषेक मिश्रा और लकी शर्मा चारों 15 साल पुराने दोस्त हैं। जो अलग-अलग स्थानों में रहते हैं, लेकिन वाट्सएप ग्रुप के साथ एक दूसरे से जुड़े हैं। अब जब वे एक दूसरे से नहीं मिल पा रहे हैं, तो उन्हें बचपन की याद सताने लगी है, जिसे ताजा करने के लिए उन्होंने पुराने जमाने की कॉमिक्स की पीडीएफ डाउन लोड करने का काम शुरु कर दिया।
40 से 50 साल की उम्र के लोग लॉक डाउन के कारण घरों में बैठे हैं। ऐसे में उन्हें बचपन की याद भी सताने लगी है। जेहन में चाचा चौधरी, साबू, बिक्रम बेताल, नागराज और पिंकी जैसे चरित्र आने लगे हैं। उस दौर में चौथी क्लास से आठवीं तक के किशोर बच्चे तो इनके खूब दीवाने थे। चंपक, पराग और नंदन के बड़ी संख्या में नन्हें पाठक होते थे।
फिल्हाल लॉक डाउन अपने साथ भले ही कुछ दिक्कतें लेकर आया, लेकिन इसने 90 के दशक की यादें फिर ताजा कर दी। बड़े हो यां बच्चे सभी कॉमिक्स की पीडीएफ फाइल डाउनलोड कर खूब पढ़ रहे हैं। जहां बड़ों के लिए यह पुराने समय की यादों को ताजा करने का जरिया बना, वहीं बच्चों को कुछ नया पढ़ने को मिल रहा है, वो भी एक नए और आधुनिक कलेवर के साथ, यानि बच्चे कॉमिक्स का लुत्फ मोबाइल पर उठा रहे हैं।
इसके बाद को घंटों अपने फेवरेट कैरेक्टर्स को पढ़ना और अपनी दुनिया में मस्त रहना, लेकिन इस नई सदी में जब कॉमिक्स किताबों की जगह गैजेट्स ने लेली, तब मानो नया बचपन इन शानदार किरदारों को भूल ही गया। नया दौर प्लेस्टोर के साथ अनगिनत गेम्स लेकर आया। जो दुनियाभर में लाखों की तादाद में डाउनलोड होने लगे और किताबी दुनिया में मानों लॉक डाउन हो गया हो।