बर्ड फ्लू : पोल्ट्री फार्म संचालकों ने लगाई मदद की गुहार, बोले - अफवाह से हो रहा नुक्सान
बर्ड फ्लू : पोल्ट्री फार्म संचालकों ने लगाई मदद की गुहार, बोले - अफवाह से हो रहा नुक्सान
डिजिटल डेस्क, बीड। जिले में छह सौ निजी पोल्ट्री फार्म हैं, पिछले तीन वर्षों के दौरान बड़ी संख्या में किसानों ने कृषि के लिए बतौर सहायक रोजगार मुर्गी पालन की ओर रुख किया है, हालांकि पिछले साल जनवरी 2020 के बाद पोल्ट्री फार्म व्यवसाय पूरी तरह से हाशिये पर आ गया है। गणेश राऊत ने मुर्गी पालन शुरु किया, लेकिन पिछले एक साल से दो बार व्यापार संकट में रहा। कोराना आया फिर मौजूदा बर्ड फ्लू संकट ने तबाह कर दिया। चिकन जो पहले 80-90 रुपए प्रति किलो तक बिकता था, अब मांग में तेज गिरावट के कारण 30-40 रुपए प्रति किलोग्राम में ही बिक रहा है। सात लाख रुपए का निवेश कर तीन हजार मुर्गियां रखी गईं, लेकिन अब बर्ड फ्लू ने सारे व्यापार को ठंडा कर दिया है। पोल्ट्री व्यवसायी गणेश राउत ने बताया कि अब कर्ज में लेने की नौबत है। बर्ड फ्लू के संकट के कारण जिले में हजारों जीवित मुर्गियों को दफनाने का समय आया था।
चिकन खाने से बर्ड फ्लू नहीं होता है
पशुपालन विभाग के उपायुक्त सूर्यकांत सूर्यवाड के मुातबिक कोई भी खाना बिना पकाए नहीं खाया जाता है। अभी तक चिकन खाने के कारण इंसानों में बर्ड फ्लू का एक भी मामला सामने नहीं आया। जिले में अंबाजोगाई के पास लोखंडी सावरगांव केवल दस से बारह पक्षियों में बर्ड फ्लू पाया गया। चिकन या मटन कम से कम आधे घंटे तक पकाया जाता है। कोई भी वायरस 70 से 80 डिग्री सेल्सियस से ऊपर तापमान में पकाया जाता है। जिसमें किसी तरह का संक्रमण नहीं होता।
सरकारी मदद की जरूरत
मुर्गी पालन व्यवसाय साल में दो बार महामारी के कारण मुसीबत में है। ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर इसका सीधा प्रभाव पड़ रहा है। यहां की किसानो ने सरकार की मदद के बिना मुर्गी पालन शुरू किया है। लेकिन अब हालात खराब हो रहे हैं। किसानों ने मदद की गुहार लगाई है। उनका कहना है कि अफवाहों के कारण व्यवसाय चौपट हो चुका है।