नियम का जवाब दिया तो पुरानी बीमारी का हवाला देने लगी निवा बूपा इंश्योरेंस कंपनी

बीमित का आरोप: गोलमाल कर रहे बीमा कंपनी के अधिकारी नियम का जवाब दिया तो पुरानी बीमारी का हवाला देने लगी निवा बूपा इंश्योरेंस कंपनी

Bhaskar Hindi
Update: 2022-12-21 09:57 GMT
नियम का जवाब दिया तो पुरानी बीमारी का हवाला देने लगी निवा बूपा इंश्योरेंस कंपनी

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा कंपनियाँ इस तरह से आम लोगों को परेशान करती हैं कि उनके सामने भटकने के अलावा कुछ हाथ नहीं लगता है। अस्पताल में कैशलेस नहीं करना और उसके बाद बिल सबमिट करने पर टीपीए कंपनी के द्वारा कई तरह की खामियाँ निकालकर नो पेमेंट का लैटर थमा दिया जाता है। बीमित बीमा नियामक आयोग के पास जाए या फिर अन्य कंज्यूमर कोर्ट उसका भय बीमा कंपनियों को कतई नहीं है। वे गलत जानकारी देने से वहाँ भी बाज नहीं आ रही हैं। गोलमाल दस्तावेज पेश कर अपने फेवर में केस कराने का प्रयास करती हैं, पर पॉलिसीधारक के दस्तावेजों का अध्ययन करने के बाद बीमा नियामक आयोग भी सही निर्णय देता है। आदेश का पालन बीमा कंपनियों व टीपीए के अधिकारियों के द्वारा नहीं किया जा रहा है अब यह आरोप भी पॉलिसीधारकों द्वारा लगाया जा रहा है।

इन नंबरों पर बीमा से संबंधित समस्या बताएँ 

इस तरह की समस्या यदि आपके साथ भी है तो आप दैनिक भास्कर के मोबाइल नंबर - 9425324184, 9425357204 पर बात करके प्रमाण सहित अपनी बात रख सकते हैं। संकट की इस घड़ी में भास्कर द्वारा आपकी आवाज को खबर के माध्यम से उचित मंच तक पहुँचाने का प्रयास किया जाएगा।

रेडिएशन के माध्यम से कराई गई थी थैरेपी

सिंगरौली निवासी दिनेश कुमार ने अपनी शिकायत में बताया कि पॉलिसी क्रमांक 31077866202101 का प्रीमियम प्रतिवर्ष जमा करते आ रहे हैं। पॉलिसी काफी पुरानी है। पहले मैक्स बूपा के नाम से कंपनी थी और अब निवा बूपा के नाम से कंपनी का संचालन हो रहा है। बीमित का आरोप है कि उन्हें दोनों पैर के घुटने में दर्द होने लगा तो इलाज के लिए बैंगलोर जाना पड़ा था।

वहाँ अस्पताल में बीमा कंपनी के द्वारा कैशलेस नहीं किया गया। जिम्मेदारों ने यह कहते हुए कैशलेस से इनकार कर दिया था कि आप बिल जमा करेंगे तो सारा भुगतान कर दिया जाएगा। ठीक होने के बाद बीमा कंपनी में सारे दस्तावेज जमा किए गए, तो अनेक प्रकार की क्वेरी निकाली गईं और उसे ठीक कराकर दिया गया, तो जिम्मेदार नियमों का हवाला देने लगे। बीमित का आरोप है नियमों के बारे में जब जानकारी दी गई, तो बीमा अधिकारियों ने नया प्रयोग किया और कहा कि यह तो आपको पाँच साल पुरानी बीमारी है। आपने बीमारी को छुपाकर बीमा कराया था, इसलिए हम क्लेम नहीं दे सकते हैं। बीमित का आरोप है कि क्लेम न देना पड़े इसके लिए अनेक प्रकार का गोलमाल बीमा अधिकारियों के द्वारा किया जा रहा है।

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