बिहार: अमित शाह की दो टूक, नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेंगे विधासभा चुनाव

बिहार: अमित शाह की दो टूक, नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेंगे विधासभा चुनाव

Bhaskar Hindi
Update: 2020-01-16 12:18 GMT
बिहार: अमित शाह की दो टूक, नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ेंगे विधासभा चुनाव
हाईलाइट
  • अमित शाह ने भाजपा और जेडीयू के गठबंधन को अटूट बताया
  • लालू लालटेन युग छोड़ गए थे
  • हम एलईडी युग लेकर आए: अमित शाह

डिजिटल डेस्क, वैशाली। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने गुरुवार को बिहार के वैशाली में CAA के समर्थन में रैली की। इस दौरान शाह ने बिहार के विधानसभा चुनाव को लेकर बड़ी घोषणा की। उन्होंने कहा कि "NDA, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही विधानसभा का चुनाव लड़ेगी।" इससे पहले अफवाह थी कि NDA, नीतीश से हटकर चुनाव में हिस्सा लेगी, जिसे अब शाह ने दरकिनार कर दिया है। बता दें कि वर्तमान में बिहार में भाजपा और जेडीयू के गठबंधन की सरकार है और अगला विधानसभा चुनाव इस साल के अंत तक होना है।

 

 

भाजपा - जेडीयू का गठबंधन अटूट
अपने संबोधन के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम नीतीश के तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि "नीतीश ने बिहार से जंगलराज खत्म किया है और लालू जी से मैं कहना चाहता हूं कि आप अब सेंधमारी नहीं कर सकेंगे, क्योंकि ये भाजपा और जेडीयू का अटूट बंधन है। आप लालटेन युग छोड़ गए थे, लेकिन हम एलईडी का युग लेकर आए हैं। आपने लूट एंड ऑर्डर का राज लाया था और हम लॉ एंड ऑर्डर का राज लेकर आए हैं।"

विपक्ष दलों पर हमला
गृहमंत्री अमित शाह ने CAA को लेकर अपने संबोधन में कहा कि "वोट बैंक की राजनीति करने वाले CAA का विरोध कर रहे हैं। विपक्ष पार्टियों पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि राहुल बाबा, लालू यादव, ममता दीदी और अरविंद केजरीवाल जी CAA के संबंध में लोगों को गुमराह करना बंद करें।" उन्होंने बताया कि "CAA नागरिकता देने का कानून है और इससे किसी भी व्यक्ति की नागरिकता खत्म नहीं हो सकती।" उन्होंने बताया कि "पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान) में जितने हिंदू, सिख, बौद्ध और जैन के साथ अन्याय हुआ, CAA कानून के जरिए उनको भारत में पनाह दी जाएगी।"

क्या है CAA?
CAA वह अधिनियम है, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश जैसे इस्लामिक देशों में प्रताड़ित किए गए गैर मुसलमानों को पनाह देगा। अधिनियम के मुताबिक 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले जिन भी हिंदुओं, सिखों, जैनों, पारसियों, बौद्धों और ईसाईयों ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत की पनाह ली हैं, उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान की जाएगी।

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