वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती- उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू

वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती- उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू

Bhaskar Hindi
Update: 2019-10-30 08:59 GMT
वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण सबसे बड़ी चुनौती- उपराष्ट्रपति वैंकेया नायडू

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा आज देश के सामने वायु प्रदूषण और जल प्रदूषण सबसे  बड़ी चुनौती है। ऐसे में विज्ञान व तकनीक संस्थाओं की जिम्मेदारी है कि वे न सिर्फ समस्याओं का हल सुलझाएं बल्कि उन्हें आम लोगों तक पहुंचाएं।  उक्त बात उन्होंने  नीरी द्वारा आयोजित 15 वीं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी में बतौर मुख्य अतिथि के तौर पर बोल रहे थे। इस मौके पर उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया बदलाव से गुजर रही है ऐसे में यह जानना जरूरी है कि हम कहां हैं और हो रहे बदलाव के साथ कैसे सामंजस्य बिठा सकते हैं । बदलाव के साथ ही कई समस्याएं भी सामने आ रही हैं जिनका समाधान ढूंढना जरूरी है। आज सबसे बड़ी समस्या है प्रकृति को प्रकृति की उपेक्षा और अगर हम प्रकृति की उपेक्षा करते हैं तो प्रकृति भी हमारी उपेक्षा शुरू कर देगी ।

 नीरी द्वारा अंतरराष्ट्रीय परिसंवाद का उद्घाटन उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू के हाथों हुआ। परिसंवाद का विषय जीव विज्ञान, चिकित्सा और पर्यावरण में धातु आयन और कार्बनिक प्रदूषक था । इस मौके पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि विज्ञान का उद्देश्य लोगों के जीवन को आरामदायक और प्रसन्न बनाना है। इसके साथ ही लोगों को उपलब्ध कराई गई तकनीक पर उनकी प्रतिक्रिया से यह जानना है कि वह तकनीक कितने काम की है । प्रदूषण जैसी समस्या से निपटने के लिए जनभागीदारी जरूरी है। इसके लिए लोगों को जोड़ना जरूरी है।  इसके लिए सूचना मातृभाषा में पहुंचाना अधिक प्रभावी होगा।

कार्यक्रम में नीरी के निदेशक डॉ राकेश कुमार, अमेरिका के प्रो. डॉ पाउल बी टेक्नोहाउ और महाराष्ट्र यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ के डॉ दिलीप म्हैसकर, सोनाली खन्ना, विकास महात्मे प्रमुखता से उपस्थित थे।  इस अवसर पर उपराष्ट्रपति के हाथों सार्वजनिक जागरूकता अभियान का शुभारंभ भी किया गया। अभियान के तहत नदियों के पुनरुद्धार और लुप्तप्राय नदियों के जल संरक्षण और संरक्षण से संबंधित गतिविधियों को स्वंयसेवी संस्थाओं के माध्यम से नीरी द्वारा  चलाया जाएगा। इस संगोष्ठी के दौरान वायु गुणवत्ता में परिवर्तन के साथ-साथ स्वास्थ्य, कैंसर का उपचार, पर्यावरण प्रदूषक और जोखिम मूल्यांकन, धातु आधारित नैनो टेक्नोलॉजी टॉक्सिकॉलॉजी,  मेटल आयन  के संदर्भ में अनुसंधान पर प्रकाश डाला जाएगा। सेमिनार के उद्घाटन के बाद नायडू ने क्षेत्र के स्मृति वन में एक पेड़ भी लगाया। परिसंवाद में विभिन्न देशों के प्रतिनिधि शामिल हुए हैं।

Tags:    

Similar News