मौत के बाद एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी माँग रही है परिजनों से डीएनए रिपोर्ट
क्लेम न देना पड़े इसके लिए किया जा रहा परेशान मौत के बाद एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी माँग रही है परिजनों से डीएनए रिपोर्ट
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। बीमा क्लेम पॉलिसीधारक व उसके नॉमिनी को न देना पड़े इसके लिए बीमा अधिकारी, क्लेम डिपार्टमेंट, सर्वेयर टीम के सदस्य कई तरह से गोलमाल करने में पीछे नहीं रहते हैं। यह आरोप है कि ये सभी लोग अस्पतालों में भी जाकर बीमारी को सालों पुरानी होने की बात दर्ज करवाने में सफल रहते हैं। बीमित की कोई हिस्ट्री भले न हो, पर बीमा कंपनी रिपोर्ट में सब दर्ज कराने में सफल हो जाती है। पीड़ितों का कहना है कि जब हिस्ट्री लिखवाने व अन्य कारनामे को अंजाम देने में जिम्मेदार सफल नहीं होते हैं तो डीएनए रिपोर्ट, बिसरा रिपोर्ट के साथ ही अन्य दस्तावेजों की माँग की जाने लगती है। पॉलिसीधारकों का आरोप है कि बीमा अधिकारी जानबूझकर हमें परेशान करते हैं जिससे बीमा राशि का भुगतान न करना पड़े। पॉलिसीधारक माँग कर रहे हैं कि बीमा प्रबंधन के साथ ही जिम्मेदार अधिकारियों पर प्रशासन के साथ ही बीमा नियामक आयोग द्वारा सख्त कदम उठाना चाहिए।
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सड़क हादसे में पॉलिसीधारक हुआ था दर्दनाक दुर्घटना का शिकार
सिवनी जिले के कान्हीवाड़ा दुर्गा चौक निवासी अंजली साहू ने बताया कि उनके पति अंकुर साहू निजी कार्य करते थे। उन्होंने एचडीएफसी इंश्योरेंस कंपनी से बीमा कराया था। पति मार्च 2018 को घर आते वक्त सड़क दुर्घटना में बाइक सहित पुल से नीचे गिर गए थे। दुर्घटना में उनकी मौत हो गई थी। मौत के बाद बीमा कंपनी में सारे दस्तावेज लगाकर पॉलिसी क्रमांक 21179976 में क्लेम किया था तो उसमें अनेक प्रकार की क्वेरी बीमा अधिकारियों के द्वारा निकाली गईं। बीमा कंपनी को सारी जानकारी सत्यापित कराकर दोबारा ऑनलाइन व ऑफलाइन भेजी गई पर उसके बाद भी तरह-तरह की जानकारी क्लेम डिपार्टमेंट, सर्वेयर टीम के सदस्य माँग रहे हैं। नॉमिनी ने खुलासा किया की बीमा अधिकारी मेरे पति की मौत के बाद डीएनए रिपोर्ट की माँग कर रहे हैं तो कभी बिसरा रिपोर्ट की डिमांड की जाती है। बिसरा रिपोर्ट दे दी, पर फिर नए दस्तावेजों के बारे में जानकारी हासिल की जाने लगी है। बीमा अधिकारी जानबूझकर हमें परेशान कर रहे हैं और कई तरह की डिमांड की जा रही है। बीमित के परिजनों का आरोप है कि बीमा अधिकारी जानबूझकर परेशान कर रहे हैं और क्लेम न देना पड़े इसके लिए अनेक प्रकार के कागजों की माँग कर रहे हैं जो संभव नहीं हो पा रहे हैं, वहीं बीमा अधिकारियों से संपर्क किया गया, पर उनके द्वारा किसी भी तरह का उत्तर नहीं दिया गया।