14 वर्ष बाद हत्यारे को दोहरे आजीवन कारावास की सजा

पहले कुएं में गिराया फिर ऊपर से पत्थर पटककर की थी हत्या 14 वर्ष बाद हत्यारे को दोहरे आजीवन कारावास की सजा

Bhaskar Hindi
Update: 2021-09-15 12:02 GMT
14 वर्ष बाद हत्यारे को दोहरे आजीवन कारावास की सजा

डिजिटल डेस्क दमोह । बेटी की आबरू बचाने वाले पिता की वीभत्स तरीके से हत्या को अंजाम देने वाले आरोपी को विशेष न्यायाधीश संजय चतुर्वेदी ने दोहरे कठोर आजीवन कारावास एवं ?3000 के अर्थदंड से दंडित किया है। मामले में शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक राजीव बद्री सिंह ठाकुर द्वारा की गई।
ये है मामला 
 24 दिसंबर 2007 दिन के तीन बजे ग्राम इमलिया लांजी का रहने वाला हाकम सिंह गांव में डेरा बनाकर रह रहे मंगल को शराब पीने की कहकर अपने खेत में ले गया।थोड़ी देर बाद मंगल की लड़की वही पास में गांव के ही आरोपी कमलू उर्फ कमलेश ढीमर के खेत के कुआं में पानी भरने के लिए पहुंची जब वह पानी भर रही थी तभी आरोपी कमलेश ढीमर ने आकर उसे पकड़ लिया उसके चिल्लाने की आवाज सुनकर पास के खेत में हाकम के साथ बैठा उसका पिता मंगल वहां जाने के लिए उठा तो पीछे से हाकम ने मंगल को पकड़ लिया और आरोपी कमलेश से कहा कि इसकी लड़की के साथ जो करना है तुम कर लो मैं इसे पकड़े हूं,मंगल ने कोशिश कर अपने आपको हाकम से छुड़ाकर लड़की को कमलेश से छुड़ाया,तब गुस्से में हाकम और कमलेश ने मंगल के साथ मारपीट कर दी,मारपीट करने के बाद दोनों ने मंगल को कुएं में पटक दिया। कुएं से निकलने के प्रयास में मंगल सिंचाई के लिए कुँए में डाले गए पाइप के सहारे ऊपर चढऩे लगा तब आरोपी कमलेश ने कुँए के ऊपर से ही वहीं पास में बड़ा पत्थर उठाकर मंगल के सिर पर पटक दिया,पत्थर सिर में लगने से मंगल कुंआ के पानी में डूब गया। शोर-शराबे की आवाज सुनकर मंगल के परिवारजन और गांव के लोग वहां आ गए जिन्हें देखकर हाकम और कमलेश भाग गए। पुलिस ने आकर मंगल का शव कुंआ से निकाला। घटना के संबंध में बांसातारखेड़ा पुलिस चौकी में रिपोर्ट लिखाई गई।घटना के बाद से ही आरोपी कमलेश फरार हो गया। वर्ष 2008 में आरोपी हाकम को न्यायालय ने बरी कर दिया था। वर्ष 2017 में आरोपी कमलेश ढीमर के मिलने पर न्यायालय में विचारण शुरू हुआ। प्रकरण में आई साक्ष्य और अभियोजन द्वारा प्रस्तुत तर्क से सहमत होते हुए न्यायालय ने आरोपी कमलेश ढीमर को धारा 302 और 3-2-5 एससी एसटी एक्ट में पृथक पृथक आजीवन कारावास और धारा 354 भादवि में एक वर्ष एवं तीन हज़ार रुपये  के अर्थदंड से दंडित किया।

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