स्कूल से चल रहा था अभिभावकों को लूटने का धंधा, प्रशासन ने दबिश देकर कमरे को किया सील
स्कूल से चल रहा था अभिभावकों को लूटने का धंधा, प्रशासन ने दबिश देकर कमरे को किया सील
डिजिटल डेस्क, कटनी। प्राइवेट स्कूलों में किताब-कापियों में मची लूटखसोट की दुकान पर ताला जड़ने की कार्यवाही सत्र के पहले दिन से ही प्रशासन ने शुरु कर दी। माधवनगर स्थिति निजी स्कूल में टीम ने दबिश देते हुए उस रुम को सील किया, जिस रुम में रखकर किताब-कापियों की बिक्री स्कूल प्रबंधन कर रहा था। अभिभावकों को मंहगी पढ़ाई से बचाने लिए एक बेहतर प्रबंधन की भूमिका में अफसर दिखाई दिए। सोमवार को पहले कलेक्टर ने जागरुक लोगों के साथ इस समस्या और समाधान का हल निकालने के लिए बैठक की। इसके बाद समाधान खोजने के लिए निजी स्कूल के संचालकों और प्राचार्यों की भी बैठक बुलाई। कलेक्टर डॉ.पंकज जैन स्कूल संचालकों के साथ बैठक ही कर रहे थे कि उधर टीम ने पहुंचकर एक स्कूल को किताब-कापियां बेचते हुए रंगे हाथों पकड़ा।
दो जगहों पर पहुंची टीम
माधवनगर में दो जगहों पर टीम पहुंची। टीम में जिला शिक्षा कार्यालय से प्रकाश चनपुरिया और जिला शिक्षा केन्द्र से एनपी दुबे के साथ अन्य कर्मचारी शामिल रहे। यहां पर दो जगहों में भी दबिश दी गई। यहां पर भी कई तरह की कमियां मिली। स्कूलों में मनमानी फीस को लेकर भी कलेक्टर ने आवश्यक कार्यवाही करने की बात कही है। अब अभिभावक गोपनीय तरीके से भी इसकी शिकायत प्रशासन को कर सकते हैं।
इस तरह से होता था खेल
पुस्तकों में कमीशन का खेल स्कूल संचालक और संबंधित पब्लिकेशन के बीच अरसे से चल रहा है। स्कूलों में किस प्रकाशन की कौन-कौन सी किताबें लगानी हैं। इसका निर्धारण कमीशन के टेबल पर होता था। जिस प्रकाशन का एजेंट जितना अधिक कमीशन देने की बात करता, उसकी किताब आसानी से लगा दी जाती। संचालकों को कितना कमीशन देना है, उस हिसाब से किताबों में अंकित मूल्य भी निर्धारित कर दी जाती। कुछ स्कूलों ने इसके लिए बीच का रास्ता अख्तियार कर लिया था। जिसमें चिन्हित दुकानों में ही उस प्रकाशन की किताबें मिलती, और कुछ स्कूलें ऐसी भी रहीं। जो बुक्स सेलर को देने वाले कमीशन के हिस्से को भी डकारने की फिराक में अपने स्कूलों से ही बेचने का काम करते आ रहे हैं।
बैठक में दिए गए निर्देश
कलेक्टर ने एक बैठक भी ली। जिसमें निर्देश दिए गए कि स्कूलों में दस प्रतिशत से अधिक फीस की वृद्धि न की जाए। स्कूल संचालक पोर्टल पर किताबों की सूची डालें। किसी भी प्रकाशन की किताबें लेने पर अभिभावकों के ऊपर दवाब न बनाया जाए। अभिभावकों को सस्ती कि ताबें मिलें। जिसके लिए एक पुस्तक मेला लगाने पर भी चर्चा की गई। जिसमें स्थानीय पुस्तक विक्रेताओं से कहा गया कि वे निर्धारित समय में पुस्तक मेले में सहभागिता निभाएं। यूनीफार्म और अन्य मुद्दों पर भी कलेक्टर ने संचालकों के साथ चर्चा की।