सोनोग्राफी मशीन चालू नहीं होने से हर वर्ष लग रही 60 लाख की चपत
कटनी सोनोग्राफी मशीन चालू नहीं होने से हर वर्ष लग रही 60 लाख की चपत
डिजिटल डेस्क, कटनी । विजयराघवगढ़ क्षेत्र सत्ता का केन्द्र बिन्दु कहलाता है। इसके बावजूद मुख्यालय के सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र की सोनोग्राफी मशीन पांच वर्ष से धूल खा रही है। यह जानकार आपको हैरानी होगी कि मशीन चालू नहीं होने से मरीज और उनके परिजन इस दौरान करीब 2.50 करोड़ रुपए निजी सेंटरों में जांच के लिए खर्च कर चुके हैं। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में औसतन एक वर्ष में 1500 से लेकर 2000 के बीच महिलाओं का प्रसव होता है। कैमौर और आसपास के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों का यही अस्पताल डिलेवरी प्वाइंट के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है। इसके बावजूद प्रशासनिक और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी भारी पड़ रही है। वर्ष 2017 से मशीन को चालू करने के लिए प्रयासनहीं किया जाना। स्थानीय लोगों के समझ से परे है। क्षेत्र के अधिवक्ता ब्रम्हमूर्ति तिवारी ने बताया कि वे लगातार इस संबंध में सीएम से लेकर कलेक्टर तक को पत्र लिख चुके हैं।
आसपास के क्षेत्रों से आते हैं केस
डिलेवरी के लिए आसपास के अस्पतालों से भी यहां पर रेफर केस भेजा जाता है। कैमोर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र तो पूरी तरह से विगढ़ अस्पताल में ही किसी तरह के क्रिटकल केस के लिए निर्भर है। औद्योगिक क्षेत्र होने के कारण समीपस्थ जगहों से भी लोग आकर मजदूरी करते हुए अपना जीवन यापन कर रहे हैं। गर्भवती महिलाओं का सोनोग्राफी मशीन से जांच कराने के लिए परिजन परेशान होते रहते हैं। वह परिवार जो आर्थिक रुप से सक्षम होता है, वह तो निजी वाहन या फिर अन्य साधनों से जिला मुख्यालय महिलाओं को लेकर आ जाता है, लेकिन आर्थिक रुप से कमजोर वर्ग के लोग मुख्यालय नहीं आ पाते औरउनमें कई तरह का असमंजस बरकरार रहता है।
ऐसे समझें फिजूलखर्ची की कहानी
वर्तमान समय में एक बार सोनोग्राफी कराने का खर्चा करीब 400 रुपए आता है। विजयराघवगढ़ से कटनी की दूरी करीब 35 किलोमीटर है। आने-जाने और सुबह से दोपहर तक रुकने में 600 रुपए का अतिरिक्त खर्च आता है। यह स्थिति तब है, जब परिजन पब्लिक ट्रांसपोर्ट सुविधा का उपयोग करते हुए मुख्यालय आते हैं। यदि कोई प्राइवेट वाहन से कटनी आता है तो आने-जाने का किराया करीब 2000 रुपए है। इस हिसाब से एक गर्भवती महिला को कम से कम 4 बार जांच करानी पड़ती है। बस की सुविधा में जहां 4 हजार तो प्राइवेट वाहन का उपयोग करने से एक महिला पर 10 हजार रुपए का खर्चा आता है।
स्त्री रोग विशेषज्ञ ले चुकी है ट्रेनिंग
सोनोग्राफी मशीन को चालू करने के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. धनेश्वरी सिंह छह माह की ट्रेनिंग भी ले चुकी है। अस्पताल प्रबंधन ने बताया कि सोनोग्राफी कक्ष में एसी के साथ अन्य व्यवस्थाएं कर दी गई है। एप और कंसइनमेंट फार्म ऑनलाइन ही भरना होता है। जिसमें कुछ तकनीकी समस्या है।जिसके चलते सोनोग्राफी का काम रुका हुआ है। इस संबंध में तकनीशियनों से पत्राचार भी किया गया है।
इनका कहना है
सोनोग्राफी मशीन को चालू कराने के लिए अस्पताल प्रबंधन पूरी तरह से गंभीर है। तकनीकी समस्या के कारण फिलहाल सोनोग्राफी नहीं हो रही है। तकनीकी अमले को पत्राचार किया गया है। विभाग की कोशिश है कि जल्द से जल्द इस मशीन को चालू किया जाए।