भारत में रैनसमवेयर अटैक में आ रही तेजी, जानिए - क्या है पूरा मामला
- भारत में रैंसमवेयर हमलों में तेजी
- इस वर्ष 73 प्रतिशत संगठन हुए इसके शिकार
- जानिए - क्या है रैनसमवेयर
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारत में रैनसमवेयर हमलों में तेजी से वृद्धि हुई है। एक सर्वेक्षण के मुताबिक इस वर्ष देश के 73 प्रतिशत संगठन रैनसमवेयर के शिकार हुए हैं। पिछले वर्ष 57 प्रतिशत संगठन रैंसमवेयर के शिकार हुए थे। साइबर सुरक्षा प्रदान करने वाली वैश्विक कंपनी सोफोस ने ‘स्टेट ऑफ रैनसमवेयर- 2023’ रिपोर्ट जारी करके यह जानकारी साझा की है।
सोफोस के फील्ड सीटीओ चेस्टर विस्निविस्की के मुताबिक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि रैनमसवेयर हमलों के 77 प्रतिशत मामलों में कंपनियां अपने डेटा को वापस पाने के लिए 44 प्रतिशत फिरौती का भुगतान कर अपने डेटा को एन्क्रिप्ट करने में सफल रही हैं। है। उन्होंने बताया कि रैनसमवेयर हमलों के दो मुख्य कारण शोषित भेद्यता (35 प्रतिशत मामलों में शामिल) और क्रेडेंशियल्स यानी आसान पासवर्ड (33 प्रतिशत मामलों में) हैं। उन्होंने बताया कि 30 प्रतिशत मामलों में जहां डेटा एन्क्रिप्ट किया गया, वहां भी डेटा चोरी हो गया था। शिक्षा क्षेत्र से भी बड़े पैमााने पर रैंसमवेयर हमलों की सूचना मिली है। 80 प्रतिशत निचले स्तर के शिक्षा संगठनों ने बताया कि वे रैनसमवेयर के शिकार हुए है। कुल मिलाकर 46 प्रतिशत संगठनों ने बताया कि उनका डेटा एन्क्रिप्ट किया गया था और इसके बाद फिरौती का भुगतान किया गया। विस्निवस्की ने रैनसमवेयर अपराधियों पर शिकंजा कसने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने सोफोस रैंसमवेयर और अन्य साइबर हमलों से बचाव में मदद करने के तरीके भी बताए।
क्या है रैनसमवेयर?
रैनसमवेयर एक प्रकार का मैलवेयर वायरस है, जिसे जानबूझकर बनाया गया है। ये मेलिशियस सॉफ्टवेयर आपके सिस्टम में आकर सभी फाइल्स व डाटा पर कब्जा कर लेता है और उसे एन्क्रिप्ट कर देता है। फिर उसे मुक्त या छोड़ने के लिए आपसे फिरौती मांगता है।