सम्मेलन: समावेशी संसद में जन विविधता प्रतिबिंबित होनी चाहिए - हरिवंश

  • कंपाला में सीएसपीओसी के 27वें सम्मेलन में बोले उपसभापति
  • महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना एक मील का पत्थर
  • युगांडा में राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों (सीएसपीओसी) का 27वां सम्मेलन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-05 14:54 GMT

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश ने कहा कि समावेशी संसद में जन विविधता प्रतिबिंबित होनी चाहिए। महिला आरक्षण विधेयक का पारित होना एक मील का पत्थर है, जो भारतीय संसद की समावेशी प्रकृति का प्रमाण है। उन्होंने कहा कि सांसदों का स्वास्थ्य और खुशहाली सीधे तौर पर शासन की गुणवत्ता और जिन लोगों की वे सेवा करते हैं, उनके जीवन को प्रभावित करता है। 

युगांडा में राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों (सीएसपीओसी) का 27वां सम्मेलन 

हरिवंश ने यह बात कंपाला, युगांडा में राष्ट्रमंडल के अध्यक्षों और पीठासीन अधिकारियों (सीएसपीओसी) के 27वें सम्मेलन में हुई विभिन्न चर्चाओं में शिरकत करते हुए कही। उन्होंने कहा कि संसद को पूरी तरह डिजिटलीकृत करने और कागज रहित बनाने के प्रयास जारी हैं। 

समर्थकारी कानूनी ढांचा और संस्था बनाने में सदा सक्रिय रही

भारतीय संसद जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए समर्थकारी कानूनी ढांचा और संस्था बनाने में सदा सक्रिय रही है। भारत की गो ग्रीन पहल के बारे में उपसभापति ने कहा कि संसद सदस्यों को संसद परिसर तक लाने-ले-जाने के लिए ई-वाहनों का प्रयोग किया जा रहा है और संसद को पूरी तरह से डिजिटलीकृत करने का काम तेजी से हो रहा है।

पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन पर चर्चा के दौरान हरिवंश ने सरकार के साथ-साथ संसद द्वारा की गई विभिन्न पहलों को रेखांकित किया। संसद में उन पर विस्तार से बहस और चर्चा की गई थी। उन्होंने आगे कहा कि "भारतीय संसद जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से निपटने के लिए समर्थकारी कानूनी ढांचा और संस्था बनाने में हमेशा सक्रिय रही है।" यह पिछले दो दशकों में जलवायु परिवर्तन से संबंधित प्रश्नों की बढ़ती संख्या में भली भांति परिलक्षित हुआ है। इसी तरह, जलवायु वित्तपोषण, प्रवासन संबंधी चुनौतियां, शमन और अनुकूलन योजनाओं हेतु नवीन दृष्टिकोण, बेहतर आपदा प्रबंधन तैयारियों का मुद्दा भी भारतीय संसद की बहसों में प्रमुख रूप से शामिल हुआ है।

सम्मेलन के दौरान आयोजित संसद सदस्यों के स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित एक अन्य चर्चा में हरिवंश ने कहा कि संसद सदस्यों का कल्याण सीधे तौर पर शासन की गुणवत्ता और उन लोगों के जीवन पर प्रभाव डालता है जिनकी वे सेवा करते हैं। उन्होंने सभा को संसद सदस्यों के बेहतर स्वास्थ्य और खुशहाली के लिए संसद द्वारा उनको प्रदान की जाने वाली विभिन्न सुविधाओं के बारे में जानकारी दी।

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