मौत: शंकरबाबा पापड़कर की मानस कन्या रूपा आखिरकार जिंदगी की जंग हार गई, 4 माह से भर्ती थी अस्पताल में
डिजिटल डेस्क, नागपुर। अनाथों के नाथ के रूप में प्रसिद्ध शंकरबाबा पापड़कर की मानस कन्या रूपा का पिछले चार महीने से जीवन संघर्ष पर विराम लग गया। सोमवार की रात उसके प्राण-पखेरु उड़ गए। मेडिकल में उपचार जारी था। पैर का संक्रमण पूरे शरीर में फैल चुका था। शंकरबाबा की अनुमति के बाद मृतदेह का पोस्टमार्टम किया गया। मेडिकल के सामाजिक विभाग की मदद से सेवा फाउंडेशन द्वारा पार्थिव शरीर वझ्झर ले जाने के लिए उपलब्ध करा दी गई।
चंद्रभागा नदी के किनारे मिली थी : अचलपुर तहसील के वझ्झर स्थित अाश्रम में रहनेवाली रूपा जन्म से पोलियोग्रस्त थी। दोनों पैर कमर के नीचे से ढीले पड़ होने से वह चल नहीं सकती थी। इसलिए उसकी जंघा के पिछले भाग पर गंभीर जख्म हो चुके थे। हालत इतनी गंभीर हो चुकी थी कि वह मौशंकरबाबा पापड़कर की मानस कन्यात के द्वार पहुंच चुकी थी। शंकरबाबा ने उसे नया जीवन देने मुंबई के एक अस्पताल में दिखाया। वहां लाभ नहीं होने से अगस्त में नागपुर के मेडिकल में भर्ती कराया गया। जन्म से पोलियोग्रस्त रूपा पंढरपुर की चंद्रभागा नदी के किनारे मिली थी।
दत्तवाड़ी में ट्रांसपोर्ट कारोबारी की पत्नी ने लगा ली फांसी : वाड़ी क्षेत्र में एक ट्रांसपोर्ट कारोबारी की पत्नी ने बेटा गांव जाने से नाराज होकर घर में फांसी लगा ली। मृतका अंजलि प्रवीण शर्मा (28) है। दरअसल, अंजलि नहीं चाहती थी कि, उसके बेटे को ससुर अपने साथ गांव न ले जाए, लेकिन बेटा उनके साथ उत्तर प्रदेश चला गया। इसे लेकर अंजलि के पति के साथ अनबन हुई और उसने फांसी लगा ली। प्रवीण शर्मा ट्रांसपोर्ट कारोबारी है। वे अपने 6 साल के बेटे के साथ सुरक्षा नगर, दत्तवाड़ी में रहते हैं। पत्नी अंजलि भी साथ रहती थी। प्रवीण के िपता उत्तर प्रदेश से घर आए हुए थे। वे अपने नाती को उत्तर प्रदेश ले गए। इस बात को लेकर अंजलि और प्रवीण के बीच अनबन हो गई। प्रवीण ने अंजलि को समझाने की कोशिश की थी, लेकिन इतनी ज्यादा नाराज थी कि, उसने गत 22 जनवरी को शाम करीब 4.30 बजे घर में सीलिंग पंखे में ओढ़नी बांधकर फांसी लगा ली। उसे फांसी पर लटका देखकर परिजनों ने नीचे उतारा और मेयो अस्पताल ले गए, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। वाड़ी पुलिस स्टेशन के उपनिरीक्षक निकालजे ने आकस्मिक मृत्युु का मामला दर्ज किया।