धार्मिक आयोजन: नागपुर में कांची कामकोटि पीठ के 41 शिवाचार्य करेंगे अभिषेक , कल आयोजन

  • सर्वेश्वर देवालयम का स्वर्ण अष्टबंधन महाकुंभाभिषेकम
  • महाकुंभाभिषेकम के लिए 20 हवनकुंड बनाए
  • 10 अप्रैल तक आयोजन

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-21 09:31 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर । कांची कामकोटि पीठ से संबद्ध राम नगर स्थित श्री सर्वेश्वर देवालयम का स्वर्ण अष्टबंधन महाकुंभाभिषेकम 22 फरवरी को होगा। कांची कामकोटि पीठ से पधारे 41 शिवाचार्य अभिषेक करेंगे। हर 12 साल में होने वाले महाकुंभाभिषेकम के लिए 20 हवनकुंड बनाए गए हैं जहां सुबह-शाम धार्मिक अनुष्ठान हो रहे हैं। राम नगर स्थित श्री सर्वेश्वर देवालयम में 6वें स्वर्ण अष्टबंधन महाकुंभाभिषेकम का आयोजन किया गया है जिसका शुभारंभ रविवार को हुआ। मुख्य अभिषेक समारोह 22 फरवरी को होगा जिसके लिए कांची कामकोटि पीठ से 41 शिवाचार्य देवालयम में पधारे हैं। शिवाचार्यों का नेतृत्व कामेश्वर शिवाचार्य और रामनाथ शिवाचार्य कर रहे हैं।

कामेश्वर शिवाचार्य ने बताया कि उन्होंने भारत के अलावा मलेशिया, सिंगापुर, श्रीलंका में 150 से अधिक कुंभाभिषेकम किया है। कांची कामकोटि पीठ के जगद्गुरु शंकराचार्य श्री श्री शंकर विजयेंद्र सरस्वती स्वामी के आशीर्वाद से श्री भवानी अंबल समेध श्री सर्वेश्वर देवालयम का स्वर्ण अष्टबंधन महाकुंभाभिषेकम 22 फरवरी को सुबह 8 से 9.30 बजे तक किया जाएगा।

सुबह 6 बजे से 6वां काल यज्ञ पूजा, पूर्णाहुति, विशेष द्रव्यहुति, दस धनम, यत्रधानम, महापूर्णाहुति, कलश जुलूस, विमानम, राजगोपुरम महाकुंभाभिषेकम, विनयगर, मूलस्थानम सर्वेश्वर, भवानी, गुरुवायुरप्पन और 8 बजे से अन्य परिवार देवता कुंभाभिषेकम और महाअभिषेकम, 9.30 बजे यजमान उत्सवम्, शाम 5 बजे श्री सर्वेश्वर देवी भवानी तिरुकल्याण महोत्सव होगा और मंदिर परिसर के अंदर स्वामी अंबल जुलूस निकाला जाएगा। यागसलाई कार्यक्रम के दौरान दिनभर नादस्वरम का पाठ किया जाएगा। मंडलाभिषेकम् 23 फरवरी से 10 अप्रैल तक होगा। सर्वेश्वर देवालयम की प्रबंध समिति और कुंभाभिषेक समिति ने उपस्थिति की अपील की है।

चोल संस्कृति के मंदिर की प्रतिकृति : श्री सर्वेश्वर देवालयम चोल संस्कृति की 15 वीं शताब्दी के मंदिर की अद्भुत, सुंदर और प्रामाणिक वास्तुकला प्रतिकृति है। मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा सन 1968 में हुई थी। मंदिर में नर्मदा नदी से मिला शिवलिंग स्थापित है। सर्वेश्वर नामकरण शंकराचार्य ने ही किया है।

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