शिक्षा: आदिवासी छात्रों को डे बोर्डिंग स्कूलों में प्रवेश देने से इनकार, भविष्य अंधकार में

आदिवासी छात्रों को डे बोर्डिंग स्कूलों में प्रवेश देने से इनकार, भविष्य अंधकार में
  • नागपुर, भंडारा जिले में स्कूलों की भूमिका
  • कई छात्रों को शिक्षा से वंचित होने का डर
  • एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प अधिकारी को सौंपा निवेदन

डिजिटल डेस्क, नागपुर। राज्य में आदिवासी विभाग की ओर से नामांकित शिक्षण योजना के तहत आदिवासी छात्रों को कक्षा पहली से बारहवीं तक अंग्रेजी माध्यम में मुफ्त शिक्षा दी जा रही है। इस योजना के तहत नागपुर जिले में 4 स्कूल और भंडारा जिले में एक स्कूल में डे बोर्डिंग के माध्यम से शिक्षा प्रदान की जा रही है। लेकिन इन स्कूलों ने अब 10वीं कक्षा उत्तीर्ण आदिवासी छात्रों को 11वीं के लिए प्रवेश देने से इनकार कर दिया है। स्कूलों की इस भूमिका से एक ओर कई छात्रों को शिक्षा से वंचित होने का डर सता रहा है, वहीं दूसरी ओर बच्चाें की शिक्षा अधूरी ना रह जाए इसे लेकर अभिभावक भी चिंतित हैं।

विभाग भ्रम दूर करे : इसी मुद्दे पर अ. भा. आदिवासी विकास परिषद विदर्भ विभाग के महासचिव तथा नागपुर विश्वविद्यालय के सीनेट सदस्य दिनेश शेराम के नेतृत्व में मंगलवार को एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प अधिकारी को निवेदन दिया है। दिनेश शेराम ने बताया कि, नागपुर और भंडारा जिले में आदिवासी छात्रों को नामांकित शिक्षण योजना डे बोर्डिंग स्कूल में 11वीं में प्रवेश देना संभव नहीं है और जिन छात्रों को प्रवेश लेना है उन्हें नियमित शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा, यह सूचित किया गया। जिसके कारण 10वीं उत्तीर्ण छात्रों को 11वीं में प्रवेश से वंचित रहना पड़ रहा है। इसलिए शेराम ने मांग की है कि, छात्रों को 11वीं के लिए प्रवेश दिया जाए और इस मामले में उचित खुलासा कर आदिवासी विभाग अभिभावक और छात्रों का भ्रम दूर करें।

12वीं तक की शिक्षा पूरी करने का निर्णय लिया जाए : नामांकित शिक्षण योजना के मानदंडों का पालन ना करने का कारण बताते हुए नागपुर के 4 और भंडारा के 1 स्कूल को योजना से बाहर कर दिया गया था। इस मुद्दे को लेकर आदिवासी सामाजिक संगठन और अभिभावक द्वारा किए गए आंदोलन के बाद एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प नागपुर विभाग ने नागपुर और भंडारा के डे बोर्डिंग स्कूल में पढ़ाई कर रहे छात्रो को शैक्षणिक सत्र 2024-25 के लिए एक साल बढ़ाकर देने का फैसला लिया था। इसके बाद छात्रों की आगे की पढ़ाई का क्या? इस सवाल पर अभिभावक चिंता जता रहे हैं। इसलिए दिनेश शेराम ने छात्रों के लिए 12वीं तक की शिक्षा पूरी करने का लिखित निर्णय लेने का और शैक्षणिक सत्र के लिए नामांकित शिक्षा योजना प्रवेश सूची प्रकाशित करने की मांग की है।

अब गेंद आदिवासी विभाग के पाले में : आदिवासी छात्रों को शैक्षणिक नुकसान ना हो इसलिए आदिवासी संगठनों द्वारा किए गए आंदोलन के बाद एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प नागपुर विभाग ने अपने स्तर पर एक साल बढ़ाकर दिया था। लेकिन अब समय सीमा बढ़ाने का फैसला आदिवासी विभाग ही लेगा ऐसी भूमिका एकात्मिक आदिवासी प्रकल्प ने ली है।


Created On :   3 July 2024 11:11 AM GMT

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