नागपुर: प्रो. साईबाबा के सहयोगी प्रशांत राही का आरोप, भीमा कोरेगांव राजनीतिक मुद्दा

  • सिमी और लश्कर से जुड़े आरोपी जेल में भी उकसाते हैं
  • भीमा कोरेगांव राजनीतिक मुद्दा

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-08 13:22 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर. नक्सली लिंक केस में निर्दोष बरी किए प्रो. साईबाबा के सहयोगी प्रशांत राही ने सनसनीखेज आरोप लगाया कि महाराष्ट्र की जेलों में सिमी और लश्कर-ए-तैयबा के कथित और सजा पाए गए आतंकवादी जेल प्रशासन की चापलूसी करते हैं। इतना ही नहीं, उनके द्वारा जेल में अच्छे विचार का प्रचार करने वाले को धमकाया भी जाता है। नक्सली समर्थक होने को लेकर प्रा. साईबाबा सहित अन्य अारोपियों को गड़चिरोली सत्र न्यायालय ने 7 मार्च 2017 को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी, जिसमें प्रशांत राही को भी सजा सुनाई गई। प्रशांत राही पिछले सात साल से अमरावती की जेल में थे। राज्य की जेलों में अन्य कैदियों के अलावा कथित और सजा दिए गए आतंकवादी और माओवादी भी हैं। अमरावती की जेल में भी कुछ ऐसे कैदी हैं। उन पर टिप्पणी करते हुए प्रशांत राही ने कहा, सिमी और लश्कर-ए-तैयबा के आरोपी प्रशासन की चापलूसी करते हैं। यदि कोई किसी अच्छे विचार के साथ चर्चा कर रहा है तो वे उस चर्चा को होने नहीं देना चाहते, उसमें भी बाधा उत्पन्न करते हैं। कई बार तो उन्होंने मुझे झगड़े के लिए उकसाने की भी कोशिश की। कई बार मुझसे प्रशासन के सामने आत्मसमर्पण कराने की कोशिश की गई। हालाँकि, वे असफल रहे, क्योंकि मेरा स्वभाव ऐसा नहीं था। आतंकवाद के आरोपी ज्यादातर कैदी आर्थर रोड जेल से हैं और वहां की व्यवस्था बहुत अलग है। राही ने बताया कि वे अन्य स्थानों पर भी यही व्यवस्था बनाने का प्रयास कर रहे हैं।

भीमा कोरेगांव राजनीतिक मुद्दा

प्रशांत राही ने कहा कि भीमा कोरेगांव शहरी माओवाद से ज्यादा एक राजनीतिक मुद्दा है। यह राजनीति चुनाव तक सीमित नहीं है। यह सामाजिक राजनीति है और इसका दायरा बहुत बड़ा है।

शहरी माओवाद की अवधारणा फडणवीस के कारण बढ़ी

प्रशांत राही ने शहरी माओवाद के बारे में कहा कि यह सच है कि हमें कांग्रेस काल में गिरफ्तार किया गया था। हालांकि, शहरी माओवाद तब कोई बड़ा विषय नहीं था। देवेंद्र फडणवीस के राज्य के गृह मंत्री बनने के बाद इस अवधारणा को बड़ा आकार दिया गया। हमारी घटना को उदाहरण बनाते हुए कुछ अन्य लोगों को शहरी माओवाद के नाम पर गिरफ़्तार किया गया।

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