कोराडी प्रकल्प:: हाई कोर्ट ने दिए महाजेनको को शपथपत्र दायर करने के आदेश
वर्षों से नहीं लगाए प्रदूषण नियंत्रण यूनिट
डिजिटल डेस्क, नागपुर। कोराडी ऊर्जा प्रकल्प में पिछले 13 सालों से प्रदूषण नियंत्रण एफजीडी यूनिट नहीं लगाये गये हैं, यह बात बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका पर हुई सुनवाई में सामने आई। इसपर कोर्ट ने महाजेनको को शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए।
हाल ही में कोराडी ऊर्जा प्रकल्प का विस्तार शुरू हुआ है। लेकिन ऊर्जा प्रकल्पों की वजह से विदर्भ में पहले ही काफी प्रदूषण बढ़ रहा है। इसे ध्यान में रखते हुए विदर्भ में अब एक भी ऊर्जा प्रकल्प ना हो यह मांग करते हुए विदर्भ कनेक्ट संस्थान ने नागपुर खंडपीठ में जनहित याचिका दायर की है। याचिका पर बुधवार को न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता ने होई कोर्ट में बताया कि, कोराडी ऊर्जा प्रकल्प में प्रदूषण नियंत्रण फ्यू गैस डिसल्फराईजेशन (एफजीडी) यूनिट लगाने की शर्त पर ही 4 जनवरी 2010 को कोराडी प्रकल्प को पर्यावरण मंजूरी दी गई। लेकिन पिछले 13 सालों से प्रकल्प में प्रदूषण नियंत्रण यूनिट ही नहीं लगाये गये हैं। मामले की गंभीरता को देखते हुए कोर्ट ने महाजेनको को प्रदूषण नियंत्रण यूनिट लगाने को लेकर अब तक क्या किया है इस बारे में शपथपत्र दायर करने के आदेश दिये। याचिकाकर्ता की ओर से एड. तुषार मंडलेकर ने पैरवी की।
तीन यूनिट लगाने के लिए कार्यादेश जारी : मामले पर हुई सुनवाई में महाजेनको ने कोर्ट को बताया कि, कोराडी ऊर्जा प्रकल्प में तीन एफजीडी यूनिट लगाने को लेकर 16 नवंबर 2023 को 1 हजार 345 करोड़ रुपये का कार्यादेश जारी किया गया है। इसपर कोर्ट ने यह सारी जानकारी शपथपत्र के माध्यम से रिकार्ड पर रखने के महाजेनको को आदेश दिए।
इसलिए हो रहा है विरोध : राज्य में 24 हजार मेगा वॉट बिजली की जरूरत है। सिर्फ अकेले विदर्भ में 17 हजार मेगा वॉट बिजली का उत्पादन किया जाता है। इसमें से केवल 1800 मेगा वॉट बिजली ही विदर्भ को चाहिए। इसलिए कोराडी ऊर्जा प्रकल्प के विस्तार को याचिकाकर्ता ने विरोध किया है।