अभियान: अब नागपुर विभाग की 13 प्रमुख नदियां अमृत वाहिनी के रूप में विकसित की जाएंगी
- सरकार चला रही नदी संवाद यात्रा
- विकास प्रारूप तैयार करने के निर्देश
- प्रदूषण रोकने के लिए उठाए जाएंगे आवश्यक कदम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विभागीय आयुक्त विजयलक्ष्मी बिदरी ने कहा कि "चला जाणूया नदीला' अभियान के माध्यम से नदी का प्रवाह पूर्ववत कर नदी पात्र का अतिक्रमण, गाद हटाने और नदी की सफाई में लोगों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर दिया जा रहा है। विभाग की 13 नदियों को "अमृत वाहिनी' के रूप में विकसित किया जाएगा। नदी संवाद यात्रा के माध्यम से विकास प्रारूप तैयार करने के निर्देश दिए गए हैं।
विभागीय आयुक्त कार्यालय में "चला जाणूया नदीला' अभियान के राज्य स्तरीय सदस्य जलपुरुष राजेंद्र सिंह की उपस्थिति में अभियान की समीक्षा के दौरान बिदरी बोल रही थीं। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में यह अभियान चलाया जा रहा है। बैठक में जिलाधीश डाॅ. विपिन इटनकर, जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी सौम्या शर्मा (नागपुर), विवेक जॉनसन (चंद्रपुर), एस एम कुर्ताकोटी (भंडारा), "चला जानुया नदीला' अभियान के राज्य समन्वयक रमाकांत कुलकर्णी, जल बिरादरी के अध्यक्ष डॉ. नरेंद्र चुघ, डाॅ. प्रवीण महाजन सहित विभाग के सभी जिलाधीश, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, वन अधिकारी, नोडल अधिकारी और नदी रक्षक वीसी के माध्यम से उपस्थित थे।
रिकॉर्ड अनुसार प्रारूप तैयार करना आवश्यक : उन्होंने कहा कि अमृत वाहिनी बनाने के लिए इस विभाग की 13 नदियों को शामिल किया गया है। जिलाधीश को नोडल अधिकारी के साथ-साथ नदी प्रहरी के माध्यम से नदी के प्रवाह को बहाल करने के उपाय सुझाने होंगे। बारिश के पहले अभियान के तहत चयनित कार्यों को पूरा करना है। वर्धा, गोंदिया, भंडारा और गढ़चिरौली जिलों में चल रहे कार्यों पर संतोष व्यक्त करते हुए राजेंद्र सिंह ने कहा कि इन नदियों के उद्गम से संगम तक नदी के पात्र का राजस्व विभाग के रिकॉर्ड के अनुसार प्रारूप तैयार करना आवश्यक है। नदी के पानी के प्रवाह को बाधित करने वाले अतिक्रमणों को हटाया जाना चाहिए और नदी प्रदूषण को रोकने के लिए सावधानियां बरतनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार की विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गहरीकरण, चौड़ीकरण, ग्राम सीवेज और ठोस घनकचरा प्रबंधन जैसे मुद्दों पर उपाय किए जाने चाहिए और नदी को पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ करने के लिए बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण किया जाना चाहिए।
कौन-कौन सी नदियां होंगी विकसित : विभाग में इस परियोजना में 13 नदियां शामिल हैं और नागपुर जिले की नाग नदी 56 किमी, सादुखोरा (आंब) नदी 25.5 किमी, गोंदिया जिले की चुलबंद नदी 28 किमी, चंद्रपुर जिले की उमा नदी 130 किमी, इरई नदी 104 किमी, गडचिरोली जिले की खोबरागड़ी नदी 81 किमी, वर्धा जिले में धाम नदी 86 किमी, वेना नदी 86 किमी, यशोधा नदी 445 किमी और भंडारा जिले की चुलबंद और वैनगंगा नदी शामिल हैं।