Nagpur News: जानिए क्यों निर्दलीयों को हर बार चुनाव चिह्न को लेकर रहती है शिकायत

  • चिन्ह कई बार उम्मीदवार के लिए उपहास का कारण बन जाते हैं
  • चम्मच, कढ़ाई से लेकर अन्य कई बर्तनों नाम चिन्ह बंटते हैं
  • संतरा या केला चुनाव चिन्ह मिल जाए तो उम्मीदवार इन फलों का वितरण करने लगता है

Bhaskar Hindi
Update: 2024-10-27 15:07 GMT

Nagpur News : रघुनाथसिंह लोधी | विधानसभा चुनाव में निर्दलीयों को दिए जाने वाले चिन्ह कई बार उम्मीदवार के लिए उपहास का कारण बन जाते हैं। चम्मच, कढ़ाई से लेकर अन्य कई बर्तनों नाम चिन्ह बंटते हैं। कई बार ऐसे भी चिन्ह मिल जाते हैं जो उम्मीदवार को सहज ही चर्चा में ले आते हैं। जो चिन्ह मिलता है उसे ही बांटकर जनता का आशीर्वाद बंटोरने का प्रयास किया जाता है। मसलन किसी को संतरा या केला चुनाव चिन्ह मिल जाए तो वह उम्मीदवार इन फलों का वितरण करने लगता है। फिलहाल नामांकन दर्ज कराने की प्रक्रिया अंतिम दौर में चल रही है। प्रमुख राजनीतिक दलों के उम्मीदवार तय होने लगे हैं। लेकिन बड़ी संख्या में निर्दलीयों के भी आवेदन लिए गए हैं।

1995 का चुनाव

1995 में सबसे अधिक निर्दलीय उम्मीदवार चुनाव मैदान में थे। उस चुनाव में कांग्रेस ने 31 प्रतिशत, शिवसेना 16.39 प्रतिशत, भाजपा 12.80 प्रतिशत और निर्दलीयों ने 23.6 प्रतिशत मतदान पाये थे। तब विदर्भ में विधानसभा की 76 सीटें थी। कांग्रेस 17, शिवसेना 11, भाजपा 22 व निर्दलीयों ने 16 सीटें जीती थी। उस चुनाव में निर्दलीयों के चुनाव चिन्ह काफी चर्चा में थे। नाग विदर्भ आंदोलन समिति, आरपीआई, आरपीआई खोब्रागडे, नेशनल रिपब्लिकन पार्टी, वदर्भ प्रजा पार्टी, प्राऊस्टिक सर्व समाज पार्टी , समाजवादी जनता पार्टी राष्ट्रीय व समाजवादी जनता पार्टी महाराष्ट्र के उम्मीदवारों के चुनाव चिन्ह चर्चा में रहे।

आयोग के पास 190 चुनाव चिह्न

नागपुर शहर की 6 सीटों को ही देखें तो यहां निर्दलीय व स्थानीय संगठनों के उम्मीदवारों की संख्या अधिक है। 29 अक्टूबर को दोपहर 3 बजे तक नामांकन दर्ज कराया जा सकेगा। 30 अक्टूबर को छंटनी होगी। 4 नवंबर तक नामांकन वापस लिए जा सकेंगे। प्रमुख दलों के लिए कमल, पंजा, हाथी, तीर-कमान, तुतारी, घड़ी, मशाल, झाड़ू के निशान वितरित किये जाएंगे। 11 प्रमुख चिन्ह निर्धारित है। लेकिन निर्दलीयों के लिए लगभग 190 चिन्ह चुनाव आयोग ने तैयार रखे है। इनमें खटिया, पेंचिस, पंच मशीन, दूरबीन, आलमारी, बंदूक, गैस सिलेंडर, जहाज, झूला, स्वीच बटन, छाननी, टिफिन, आटो, सेब, लोहा प्रेस, ब्रश, शार्पनर, रिंग, चप्पल, लिफाफा, कढ़ई, पाना, पतंग, लकड़ी, पर्स, कुकर का समावेश है। इन चिन्हों में खटिया, चप्पल जैसे चिन्ह को उम्मीदवार स्वीकार नहीं करते हैं।

निर्वाचन अधिकारी के सामने रोते हैं

नागपुर की राजनीति के जानकार एक वरिष्ठ नेता 2009 का किस्सा बताते हैं। एक उम्मीदवार को सीटी चुनाव चिन्ह दिया गया। चिन्ह बदलने के निवेदन के साथ वह उम्मीदवार निर्वाचन अधिकारी के सामने रोने लगे। हालांकि उनका चिन्ह कायम रहा। खास बात यह है कि बाद में उस उम्मीदवार ने राष्ट्रीय दल के चिन्ह पर चुनाव भी जीता। 2019 में मध्य नागपुर के एक निर्दलीय उम्मीदवार की नाराजगी चर्चा में रही। उस उम्मीदवार ने प्रचार ही नहीं किया। कुछ बहुजनवादी नेताओं की चुनाव चिन्हों को लेकर अक्सर शिकायतें रही है। नियम है कि निर्दलीय उम्मीदवार पसंद के 3 चिन्ह की मांग कर सकते हैं।


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