शानदार प्रस्तुति: दुबई में बजा मराठी भाषा का डंका, वरिष्ठ कलाकारों ने पेश की सांस्कृतिक धरोहर
- दुबई में महाराष्ट्र दिवस के उपलक्ष्य में मंचन
- 39 कलाकारों में 30 कलाकार वरिष्ठ नागरिक
- मुकुंद पुलिवार की रचना के साथ संस्कृतिक कार्यक्रम का समापन
डिजिटल डेस्क, नागपुर। विदेश में मराठी का परचम उठाने वाले कलाकरों ने जब दुबई में प्रस्तुति दी, तो देखने वाले भी दंग रह गए। सभी कलाकारों की ओर से दुबई में महाराष्ट्र दिवस के उपलक्ष्य में मंचन किया गया। कार्यक्रम की खास बात थी कि इसमें भाग लेने वाले 39 कलाकारों में 30 कलाकार वरिष्ठ नागरिक हैं। इनमें वरिष्ठ महिलाएं गृहिणी हैं। जो पहली बार मंच पर आईं थीं। कलाकारो ने मराठी होने की पहचान को बरकरार रखते हुए दुबईवासियों के मन में खास स्थान बना लिया। कलाकारों ने मराठी माह चैत्र से लेकर फाल्गुन तक हर छोटे-बड़े त्योहार के महत्वपूर्ण हिस्सों की जानकारी देते हुए मंचन किया। कलाकारों द्वारा आदर्श छत्रपति शिवाजी महाराज का राज्याभिषेक समारोह आंखें खोलने वाला रहा। वहीं स्व श्री मुकुंद पुलिवार द्वारा लिखित रचना के साथ संस्कृतिक कार्यक्रम का समापन किया।
इससे पहले इस कार्यक्रम का आयोजन संतरानगरी में हुआ था। जहां कलाकारों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी थी, जिसमें कलाकारों ने सुरेश भट्ट ऑडिटोरियम और वसंतराव देशपांडे ऑडिटोरियम में उत्साह भर दिया छा। वसंतराव देशपांडे हॉल के कार्यक्रम में दुबई से आए यही मराठी भाषी मौजूद थे। जिसके बाद सभी कलाकार सांस्कृतिक विरासत को फिर दुबई में पेश करने के लिए उत्सुक दिखे थे।
दुबई में हुए कार्यक्रम ने विदेश में रह रहे लोगों को फिर अपनी भाषा से जुड़ने का मौका दिया। एवेन्यू पर्ल्स इवेंट के तहत बहुउद्देश्यीय संगठन नागपुर और दीपास्वी यूनिटी फाउंडेशन के बैनर तले आयोजित कार्यक्रम 'मराठी की सांस्कृतिक विरासत' को सिविस इंटरनेशनल स्कूल, पुणे, सिविस इंटरनेशनल स्कूल, दुबई में भव्य तरीके से पेश किया।
इस कार्यक्रम की संकल्पना, लेखन, निर्देशन सहित प्रस्तुति पूरी टीम ने मिल जुलकर तैयार की है। जिसमें जी. अनघा अरुण वेखंडे, सह-निदेशक-अबोली कुलकर्णी शामिल है। उनके अलावा कोरियोग्राफी रश्मी न्हावले, नैपथ्य कुणाल न्हावले, पुण्यशील लाम्बट, रितेश भदादे ने की। वेशभूषा का जिम्मा योगी नाट्य श्रृंगार गृह का था, मेकअप लालजी श्रीवास ने किया। लाइट की जिम्मेदारी बाबा पद्मा, तकनीकी निर्देशन शांतनु नेटके जैन की ओर से थी। गायिकाओं ममें मनीषा कुलकर्णी, श्रद्धा डाउ, अवंती काले शामिल हैं। वाद्ययंत्रवादक में मिलिंद मानके (दुबई) खंजिरी, ओंकार (दुबई) हारमोनियम, अतुल वाडेकर (दुबई) सिंथेसाईदार, चैतन्य पाठक (दुबई) तबला, मयूर सुर्वे (दुबई) झांझ शामिल रहे।
कार्यक्रम में भाग लेने वाले कलाकारों में शुभांगी पोहरे, कल्पना महल्ले, अंजलि पारधी, छाया कलासुआ, शुभदा कुलकर्णी, जुई पोहरे, रेखा भारवदाज, नीलिमा देशपांडे, संगीता शेंडे, मीनाक्षी तड़स, शोभा बावनकर, प्रीति भोयर, वनिता मुंगेलवार, श्रुति साईखेडकर, वैशाली जोशी, ज्योति कन्नाके, माधुरी पखमोड़े, सविता घुसे, संजय डाउ, संजय कुलकर्णी, शिरीष देशपांडे, सोनाली काले, मेशना राजपूत, दिलीप पोहरे, अरुण वेखंडे, मिलिंद कुलकर्णी, मास्टर अधीश कुलकर्णी, मास्टर त्रिशांक न्हावले, ज्योति ढोले और शिवाजी सत्यम ने खास भूमिका निभाई है।
यू तो मराठी भाषा ने एक से बढ़कर एक कलाकार दिए हैं, लेकिन वतन से दूर अपनी कला और भाषा को सहेज लेना कम बात नहीं है, युवाओं का यही जज्बा वीरभूमि महाराष्ट्र के प्रति सच्चा समर्पण है।