योजना: कोरोना काल में पालकत्व खोने वाले नागपुर के 1790 बच्चों को मिलेगा सरकारी प्रायोजकत्व योजना का लाभ

  • जिलाधीश डॉ. विपिन इटनकर ने दी योजना को मंजूरी
  • देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता
  • 11 से 18 वर्ष की आयु के बच्चों को मिलेगा लाभ

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-10 09:47 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर । जिले में 11 से 18 वर्ष तक के बच्चे, जिन्होंने कोरोनाकाल में एक पालक खोया है, ऐसे 1790 बच्चों को प्रायोजकत्व योजना का लाभ मिलेगा। जिलाधीश डॉ. विपिन इटनकर ने बैठक में इस योजना को मंजूरी दी है। जिलाधीश कार्यालय स्थित छत्रपति सभागृह में हुई प्रायोजन समिति की बैठक में जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी भारती मानकर, बाल कल्याण समिति अध्यक्ष छाया राऊत, जिला बाल संरक्षण अधिकारी मुस्ताक पठान, समिति सदस्य प्रतिमा दीवान, स्वाति महात्मे, संरक्षण अधिकारी विनोद शेंडे, साधना ढोंबरे उपस्थित थे। 

देखभाल और संरक्षण की जरूरत : जिलाधीश डॉ. इटनकर ने बताया कि समिति ने जिले के 1790 ऐसे बच्चों को प्रायोजकत्व योजना का लाभ देने की मंजूरी दी है, जिन्हें देखभाल एवं संरक्षण की आवश्यकता है। महिला एवं बाल विकास विभाग की मिशन वात्सल्य योजना के शासन निर्णय 19 जून 2023 के अनुसार प्रायोजकत्व समिति की स्थापना की गई है। समिति का कार्य बच्चों का पुनर्वास और पुनर्स्थापना करना अपेक्षित है। इसके अनुसार 11 से 18 वर्ष की आयु के वे बच्चे जिनके माता-पिता में से एक की कोरोनाकाल के दौरान मृत्यु हुई, उन्हें प्रायोजकत्व योजना का लाभ मिलेगा। ऐेसे बच्चों के शिक्षा आदि की पूरी  जिम्मेदारी भी ली गई ।

सरकार की योजना से मिला बड़ा सहारा : बता दें कि कोरोना काल में नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना काल में करीब 7464 बच्चे ऐसे हैं, जिन्होंने अपने दोनों में से किसी एक अभिभावक को खोया है. जबकि इसी दौरान    कुल 1742 बच्चे हैं जो अनाथ हो गए । नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट्स के आंकड़ों के मुताबिक, देश में कोरोना काल में करीब 7464 बच्चे ऐसे थे, जिन्होंने अपने दोनों में से किसी एक अभिभावक को खोया था। नागपुर में अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों को सरकार की इस योजना से बड़ा सहारा मिला है। 

बच्चों पर टूटा था दुखों का पहाड़ : कोरोना काल में देश के अलग-अलग हिस्सों से ऐसे कई मामले सामने आए  , जहां किसी छोटे-से बच्चे के माता-पिता कोरोना की भेंट गए। ऐसी स्थिति में बच्चों के पालकत्व की जिम्मेदारी एक बड़ी समस्या बनकर सामने आई। 

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