घोटाला: हाई कोर्ट के सामने आये थे 46 घोटाले, एसीपी को जांच करने को कहा था
- 55 मामलों में लोगों को पता भी नहीं चला और उनकी संपत्ति दूसरों के नाम हो गई
- सालों से चलता रहा घोटाला, किसी को भनक तक नहीं लगी
- मामला सामने आने के बाद एसीपी को मिले थे मॉनिटरिंग करने के आदेश
सुनील हजारी , नागपुर। नागपुर जिला कोर्ट में 55 मामलों में लोगों को पता भी नहीं चला और उनकी संपत्ति दूसरों के नाम हो गई। यह घोटाला करीब 150 करोड़ से अधिक का है। गैंग का मुखिया जगदीश जैस्वाल है। अहम सवाल यह कि इतने बड़े घोटाले की किसी को भनक तक नहीं लगी और सालों से यह चलता कैसे रहा? इसकी पड़ताल में पुलिस की लापरवाही सामने आई।
हाई कोर्ट ने लगाई थी फटकार : भास्कर ने जब इसकी पड़ताल की और तथ्य खंगाले तो चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। कई बार यह घोटाला पुलिस की नजर में आया, मगर कार्रवाई करने की जगह उसे दबा दिया गया। एक मामले की सुनवाई में हाई कोर्ट की नजर में भी इस घोटाले से जुड़ी जानकारी सामने आई। तब हाई कोर्ट ने कहा था कि पूरे मामले को देखते हुए लगता है कि पुलिस ठीक से इसकी जांच नहीं कर रही है। केवल एक ही मामले में नहीं, कोर्ट के सामने 46 मामले हैं, जिनमें लोग प्रभावित हैं। यह एक मोडस आॅपरेंडी (एक पैटर्न से काम करना) है। प्रथम दृष्टया लग रहा है कि इसकी जांच ठीक से नहीं की गई है। इस पर कोर्ट ने पहले पुलिस को फटकार लगाई और एसीपी की निगरानी में इसकी जांच करने को कहा। इसके बाद भी पहले इसे टाला गया, मगर जब कोर्ट ने सख्ती दिखाई, तो अधिकारियों ने एक मामले में कार्रवाई कर अन्य प्रकरणों को छोड़ दिया।
क्या था मामला : 21.10.2022 को सदर थाने में दर्ज प्रकरण क्रमांक 410 के अनुसार प्रकाश कोलारकर के बड़े पिताजी का अयोध्या नगर में 1500 वर्ग फीट का प्लाट था। इसका एक विवाद का केस 2011 में जिला कोर्ट नागपुर में चल रहा था। कोर्ट में एक दिन प्रकाश से जगदीश जैस्वाल मिला और उसे केस जीतने का आश्वासन दिया। केस लड़ने के दस्तावेज बनाने के लिए कोरे कागज और स्टॉम्प पर प्रकाश के साइन लिए।
ऐसे किया फर्जीवाड़ा : 15.03.2003 को जगदीश प्रकाश से मिला और एनआईटी और एनएमसी में प्लाट पर उसका नाम चढ़ाने का दावा किया। चालाकी से कोरे कागज, कोरा वकील-पत्र सहित कोरे स्टॉॅम्प पर साइन भी करवा लिए। फिर जगदीश ने उक्त प्लाट प्रकाश द्वारा बेचने का एक एग्रीमेंट बनाया, जिसमें 4 लाख में खरीदना बताया और रजिस्ट्री तथा प्लाट पर पजेशन के लिए कोर्ट में केस क्रमांक आरसीएस 981/ 2016 लगाया। खास बात यह है कि जगदीश ने जो केस लगाया था, उसमें प्रकाश की तरफ से वकील के रूप में आर.एस.जाधव और बी.के. बालपांडे को खड़ा किया। जिस कोरे वकालतनामा पर प्रकाश के साइन लिए थे, उसी में वकील के रूप में दोनों के नाम लिखे गए। प्रकाश उन्हें जानता तक नहीं था। प्रकाश ने भास्कर को बताया कि वह आज तक इन वकीलों को नहीं जानता। यह वकील जगदीश के पार्टनर रंजीत सारडे ने खड़े किए थे। और 10 दिन के बाद दोनों वकीलों ने केस लड़ने से विड्राल कर लिया। इसके बाद जगदीश के पक्ष में ऑर्डर करने की प्रक्रिया शुरू हो गई। ऑर्डर की तारीख 26.04.2019 को रखी गई थी। इसके एक दिन पहले किसी ने मुझे इसकी जानकारी दी, तो 26 अप्रैल को अपने एक वकील देवेंद्र महाजन को लेकर कोर्ट मैं कोर्ट गया और कोर्ट को पूरा वाकया बताया। इसके बाद जज ने फैसला रोक दिया।
कोर्ट के आदेश पर प्रकरण दर्ज हुआ : जब प्रकाश मास्टर माइंड जगदीश जैस्वाल के खिलाफ धोखे की एफआईआर सदर पुलिस थाने में दर्ज कराने पहुंचे तो पुलिस ने टाल दिया। इसके बाद प्रकाश 156 (3) में कोर्ट गया, तब कोर्ट के आदेश पर जगदीश के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।
कार्रवाई नहीं हुई, तो फिर हाई कोर्ट गए प्रकाश : सदर थाने में एफआईआर होने के तीन माह बाद भी पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की तो प्रकाश कार्रवाई के लिए हाई कोर्ट गए। इस मामले में डिवीजन बेंच के जस्टिस विनय जोशी और भरत देशपांडे 31.03.2023 को संज्ञान लेकर एसीपी को मामले में मॉनिटर करने के आदेश दिए।
वकीलों ने कहा धोखे से हो गए थे साइन, प्रकाश को नही जानते : इस मामले में जब दैनिक भास्कर ने प्रकाश के वकील के रूप में खड़े हुए आर.एस.जाधव और बी.के. बालपांडे से बात की तो उनका कहना है कि था कि वे भी प्रकाश कोलारकर को नहीं जानते। उनसे जगदीश जैस्वाल ने धोखे से साइन करवा लिए थे।
कोर्ट ने एसीपी को जांच को मॉनिटर कर एफिडेविट देने को कहा था : आदेश में कहा गया कि यह एक बड़ा रैकेट है, इसमें कई मासूमों को एक ही तरह से ठगा गया है। इसकी जांच पुलिस ने ठीक तरह नहीं की है। इसलिए एसीपी को मॉनिटरिंग करने के आदेश दिए गए। तत्कालीन एसीपी सदर रोशन पंडित को कोर्ट ने डायरेक्शन दिए कि मामले की मॉनिटर कर एफिडेविट दें। इस प्रकरण में एक माह बाद भी 26.04.2023 को एफिडेविट फाइल नहीं किया गया। इससे नाराज होकर हाई कोर्ट ने एसीपी को और इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर बाला साहेब अमाले को दो दिन बाद निजी रूप से कोर्ट में हाजिर होने को कहा। 28.04.23 को वे हाजिर हुए। कोर्ट ने कार्रवाई नहीं करने पर जमकर फटकार लगाई। अगले दिन उसे केवल एक मामले में गिरफ्तार कर जांच के नाम पर खानापूर्ति कर ली।
पुलिस ने जगदीश को सुबह पकड़ा और रात को छोड़ दिया : सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एक तरफ हाई कोर्ट जगदीश मामले में अधिकारियों को फटकार लगा रही थी, तो दूसरी तरफ सदर पुलिस ने जगदीश को सुबह गिरफ्तार किया और रात को गोपनीय तरीके से छोड़ दिया, जो बताता है कि आखिर पुलिस क्या कर रही थी।
मेरा ट्रांसर्फर हो गया हैं, थाना स्तर पर बात करें : जगदीश जैस्वाल वाले मामले में मैं अभी कुछ नहीं बता सकता। क्या कार्रवाई की थी, मेरा नागपुर से ट्रांसफर हुए छह माह बीत गए, प्रकरण मुझे याद नहीं है, इसलिए बता नहीं सकता। आप थाने स्तर पर ही बात करें। -रोशन पंडित, तत्कालीन एसीपी
मामले तो अनेक रहते हैं, मुझे याद नहीं : बहुत सारे मामले रहते हैं। प्रकरण याद नहीं। - संजय मेंढे, प्रभारी, सदर थाना
मेरे बस की बात नहीं थी 46 मामलों में जांच करना : आपने सही कहा कोर्ट ने हमें बुलाकर इस मामले की जांच करने को कहा था, मगर 46 केस थे, उनकी जांच करना मेरे बस की बात नहीं थी। इसलिए केवल एक ही मामले की जांच की थी। इसके लिए अलग से कोई टीम होना चाहिए थी। -बाला साहेब अमाले, तत्कालीन इन्वेस्टिगेशन ऑफिसर