पीडब्ल्यूडी: निधि की कटौती बनी ऊंट के मुंह में जीरा, मांगे थे 2 सौ करोड़ और मिले 28 करोड़
- राज्य सरकार ने की पीडब्ल्यूडी को निधि आवंटन में कटौती
- चुनावी आचार संहिता के कारण भुगतान नहीं
- ठेका एजेंसी से मिन्नतें कर अधूरे कामों को पूरा कराना पड़ रहा
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर में पीडब्ल्यूडी को विकास और दुरुस्ती कामों में निधि के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। करीब 200 करोड़ के अलग-अलग प्रस्तावों के प्रलंबित होने से आला अधिकारियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। लोकसभा चुनावों की आचार संहिता के चलते राज्य सरकार से पर्याप्त निधि का आवंटन नहीं हो पा रहा है। 31 मार्च को वित्त वर्ष के समाप्त होते- होते 200 करोड़ की डिमांड से केवल 28 करोड़ रुपए मिले हैं। ऐसे में अब विभाग को ठेका एजेंसी से मिन्नतें कर अधूरे कामों को पूरा कराना पड़ रहा है। ठेका एजेंसियों के भरोसे कामों को पूरा करने के चलते जीर्णोद्धार और निर्माणकार्य में अधिकारी गुणवत्तापूर्ण कामों को लेकर बेबस नजर आ रहे हैं। राज्य सरकार की अनदेखी के चलते साल 2022 के विधानमंडल अधिवेशन के 58 करोड़ के कामों को लेकर 2 माह पहले रकम का भुगतान हुआ है, जबकि अब भी प्रशासकीय इमारतों और रिहायशी इमारतों की देखभाल निधि के अभाव में रोकनी पड़ गई है। अधीक्षक अभियंता समेत अन्य अधिकारी निधि के थमने को लेकर लीपापोती करने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन सरकारी कामों में गुणवत्ता को लेकर अब प्रश्नचिह्न खड़े हो गए हैं।
दावा : चुनावी आचार संहिता के कारण भुगतान नहीं
उपराजधानी में लोकनिर्माण विभाग को ठेकेदारों से कामों को पूरा करने के लिए मिन्नतें करनी पड़ रही हैं। लंबे समय से जारी कामों के बदले भुगतान नहीं होने के चलते पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों को ठेका एजेंसियों के सामने झुकना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक प्रशासकीय इमारतों की देखभाल और दुरुस्ती के लिए 2059 फंड में प्रतिवर्ष करीब 100 करोड़ का बजट आवंटन होता है। इसके साथ ही सरकारी रिहायशी क्वार्टर्स और बंगलों की देखभाल के लिए भी 2216 फंड में 100 करोड़ की निधि का प्रावधान होता है। इन दोनों बजट प्रावधानों में ही विधानमंडल के शीतसत्र के आयोजन को भी शामिल किया जाता है, लेकिन पिछले दो सालों से राज्य सरकार और वित्त विभाग से दोनों बजट में निधि का पर्याप्त रूप से भुगतान नहीं हो रहा है। ऐसे में करीब 200 करोड़ से अधिक के प्रस्ताव लंबित पड़े हुए हैं। 31 मार्च को विभाग को 200 करोड़ के बदले केवल 28 करोड़ रुपए मिले हैं। अधिकारियों का दावा है कि चुनावी आचार संहिता के चलते रकम भुगतान नहीं हो पा रहा है। जून माह में आचार संहिता के समाप्त होने पर राज्य के पूरक बजट में रकम भुगतान का आश्वासन मिला है। ऐसे में जून माह तक कामों को ठेका एजेंसी के सहयोग से पूरा करने का प्रयास हो रहा है।
महत्वपूर्ण काम अब ठेका एजेंसी के भरोसे
शहर में लोकनिर्माण विभाग से कई महत्वपूर्ण जीर्णोद्धार और दुरुस्ती के कामों में दिक्कत हो रही है। इन इमारतों में विभागीय आयुक्त कार्यालय की हेरिटेज इमारत, हाईकोर्ट परिसर में एक्स्टेंशन इमारत, छत के डोम और महल परिसर में नेशनल लाइब्रेरी जीर्णोद्धार का समावेश है। लंबे समय से निधि आवंटन में कोताही के चलते इन कामों को ठेका एजेंसियों से निवेदन कर लोकनिर्माण विभाग के अधिकारी पूरा कराने का प्रयास कर रहे हैं। विभागीय आयुक्त कार्यालय इमारत के लिए करीब 12 करोड़ की लागत से ठेका एजेंसी को जिम्मेदारी दी गई है, जबकि हाईकोर्ट इमारत विस्तारीकरण के लिए 1.50 करोड़ और महल की नेशनल लाइब्रेरी इमारत जीर्णोद्धार के लिए भी 1.50 करोड़ की लागत अनुमानित है। विभागीय आयुक्त कार्यालय की इमारत का काम 8 माह से जारी है, लेकिन अब तक ठेका एजेंसी को केवल 50 लाख ही भुगतान किया जा सका है। वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट इमारत और नेशनल लाइब्रेरी के काम करने वाली एजेंसियों को केवल आश्वासन पर काम कराया जा रहा है।
नाममात्र भुगतान, कैसे मिले गुणवत्ता, अधिकारी बेबस : करीब 10 माह पहले लोकनिर्माण विभाग ने हेरिटेज श्रेणी की विभागीय आयुक्त कार्यालय इमारत के जीर्णोद्धार को आरंभ किया है। निजी ठेका एजेंसी को 12 करोड़ रुपए से जीर्णोद्धार की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन रनिंग बिल के नाम पर केवल 50 लाख रुपए का भुगतान किया गया है। नियमित रूप से सामग्री खरीदी, मजदूरों के वेतन समेत अन्य कामों में आर्थिक तंगी का हवाला देते हुए ठेका एजेंसी ने काम रोकने की चेतावनी दी। ऐसे में लोकनिर्माण विभाग ने खुद के खर्च से कामों को पूरा करने का आग्रह किया। अब ठेका एजेंसी से गुणवत्ता को लेकर अधिकारी पूरी तरह से दबाव बनाने से बचने का प्रयास कर रहे हैं। यही स्थिति महल की नेशनल लाइब्रेरी और हाईकोर्ट इमारत के कामों में भी बनी हुई है।
नियमित रूप से काम जारी
अभिजीत कुचेवार, कार्यकारी अभियंता, लोकनिर्माण विभाग के मुताबिक शहर में विभागीय आयुक्त कार्यालय दुरुस्ती समेत अन्य निर्माणाधीन कामों को सुचारू किया जा रहा है। विधानमंडल शीतसत्र के कामों का निरीक्षण और गणना की प्रक्रिया की जा रही है। ऐसे में कई प्रस्तावों को जल्द ही भेजा जाएगा। राज्य सरकार से जून माह में प्रलंबित राशि के भुगतान की संभावना है। ऐसे में नियमित रूप से कामों को जारी रखा गया है।