स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक जीतकर ओडिशा से संतरा नगरी लौटे बच्चे, हुआ भव्य स्वागत
- स्वर्ण, रजत और कांस्य पदक हासिल किए
- राष्ट्रीय व्यायाम महोत्सव
- महाराष्ट्र व्यायाम एसोसिएशन का दूसरा स्थान
डिजिटल डेस्क, नागपुर। किसी शायर ने खूब लिखा है कि - जरूरी नहीं रौशनी चिरागों से ही हो, बेटे - बेटियां भी घर में उजाला करते हैं। हाथ में बैनर पकड़े नजर आ रहे बच्चों ने आज अपने स्कूल ही नहीं बल्की परिवार का नाम भी रौशन किया है। राष्ट्रीय व्यायाम महोत्सव में इन बच्चों ने स्वर्ण पदक जीतकर बता दिया कि हम भी किसी से कम नहीं है। दरअसल इन बच्चों ने 11 से 13 जनवरी तक ओडिशा के रायगढ़ में शानदार प्रदर्शन किया और यह खास मौका राष्ट्रीय व्यायाम महोत्सव का था। जिसमें चार राज्यों से आए नन्हें खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था, उनमें टाइगर कैपिटल के बच्चों ने जमकर पसीना बहाया, साथ ही जीत भी हासिल कर ली।
महाराष्ट्र व्यायाम संघ के इन नन्हें खिलाड़ियों ने दमदार प्रदर्शन कर 46 स्वर्ण पदक, 8 रजत पदक, 8 कांस्य पदक हासिल किए। इस राष्ट्रीय व्यायाम महोत्सव में नागपुर व्यायाम संघ, कोल्हापुर व्यायाम संघ, नवी मुंबई व्यायाम संघ, पुणे व्यायाम संघ के 35 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया था। जिसमें महाराष्ट्र व्यायाम एसोसिएशन ने द्वितीय स्थान प्राप्त किया है।
इनको दिया श्रेय
विजेता खिलाड़ियों में कतार में सबसे आगे प्रभनूर कौर टुटेजा हाथ में बैनर लेकर नजर आईं। उनके साथ ही खिलाड़ी ध्रुव दसवानी, विनीशा वाधवा, ईशान रायपुर, ओम थकवानी, अचिंत कौर, अनित्या वासनिक जब कतार बद्ध होकर स्टेशन से बाहर निकले, तो स्कूल टीचर्स और अभिभावकों ने जमकर स्वागत किया। टीचर्स ने बच्चों को गुलदस्ते दिए, उनका हौंसला बढ़ाया। इस दौरान कुछ की आंखें भर आईं, क्योंकि स्वर्ण पदक जीतकर बच्चों ने माता-पिता और अपने शहर का गौरव जो बढ़ाया था।
सभी विजेता खिलाड़ियों ने जीत का श्रेय अपने स्कूल के शिक्षकों और माता-पिता को दिया। इस खेल में लिटिल मिलेनियम जरीपटका के नन्हें बच्चों ने स्वर्ण पदक जीता हासिल किया।
ध्यान रहे, खेल भी पढ़ाई की तरह बच्चों के लिए जरूरी है
जानकारों का कहना है कि 5 से 8 साल में बच्चों का बहुत विकास होता है। स्कूल के इन प्रारंभिक वर्षों में बच्चों के बढ़ने और फलने-फूलने के लिए खेल भी जरूरी है। खेलने के लिए भी पर्याप्त समय की आवश्यकता होती है। खेल बच्चों को कई तरह से विकसित होने में मदद करता है। बच्चों में आगे बढ़ने और अच्छे कॉम्पीटीशन का भाव आता है। बच्चे खेल में चुनौती का भी आनंद लेते हैं। उनमें समस्या-समाधान कौशल विकसित होता है।