आरएसएस प्रकरण: वरिष्ठ समाजसेवी मून और पाशा पर मामला दर्ज, विवादित वीडियो किया गया था वायरल
- भ्रम पैदा करने का आरोप
- मामला दर्ज किया गया है
डिजिटल डेस्क, नागपुर. सीताबर्डी थाने में समाजसेवी जनार्दन मून व जावेद पाशा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन्होंने कुछ दिन पहले पत्र परिषद लेकर लोकसभा चुनाव 2024 में "आरएसएस' का कांग्रेस को समर्थन देने वाले वक्तव्य करने का वीडियो वायरल किया गया था। यह वीडियो वायरल होने पर अब मून व पाशा के लिए महंगा पड़ गया है। इस मामले में मून व पाशा के खिलाफ पुलिस ने सूचना तकनीक अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया है। संघ की ओर से मून व पाशा के खिलाफ चुनाव आयोग व पुलिस आयुक्त के पास शिकायत की गई थी। संघ के महानगर कार्रवाहक रवींद्र बोकारे की शिकायत के अनुसार मून ने कुछ समय पहले राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नामक संस्था की स्थापना करने का प्रयास किया था। सहायक निबंधक कार्यालय ने इस संस्था को लेकर इनकार किया था। मून ने इसके विरोध में उच्च व सर्वोच्च न्यायालय में गुहार लगाई थी, लेकिन दोनों न्यायालय ने उनकी याचिका को रद्द कर दिया था। मून के नाम पर ‘आरएसएस’ नाम की कोई भी संस्था पंजीकृत नहीं है, इसके बाद भी वे विविध स्थानों पर पत्र परिषद लेकर वक्तव्य देते रहे हैं।
भ्रम पैदा करने का आरोप
मून का दावा है कि उनकी संस्था ऑनलाइन पंजीकृत है। लोकसभा चुनाव की पार्श्व भूमि पर मून ने अब्दुल पाशा के साथ पत्र-परिषद लेकर उसमें ‘आरएसएस का कांग्रेस को समर्थन’ की घोषणा किया। इस बारे में यूट्यूब पर वह वीडियो समाचार (न्यूज) के रूप में वायरल किया। शिकायतकर्ता का आरोप है कि मून उनके संगठन का नाम इस्तेमाल करके उनके लोगों में भ्रम पैदा कर रहे हैं, इसलिए उन पर आईपीसी की धाराओं के तहत कार्रवाई की जाए। इस तरह समाज में संभ्रम निर्माण करने का प्रयास किए जाने का आरोप लगाते हुए संघ की ओर से बोकारे की ओर से मून के विरोध में शिकायत की गई थी। सीताबर्डी पुलिस ने इस शिकायत पर प्राथमिक जांच करते हुए वीडियो वायरल करने के बारे में छानबीन की। इसके बाद पुलिस ने मून व पाशा के विरोध में धारा 419, 505 (2) , 34 व सूचना तकनीक अधिनियम के अंतर्गत मामला दर्ज किया है।
मामला दर्ज किया गया है
आसाराम चोरमले, वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक के मुताबिक हां, जनार्दन मून और जावेद पाशा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि उन्होंने एक संस्था के रहते हुए दूसरी संस्था बनाकर उसका खुद को हेड बताकर चीटिंग की है। उन्होंने आरएसएस के नाम का लेटरपैड बनाकर उस पर चुनाव में कांग्रेस को समर्थन देने का निवेदन जारी किया है। इस मामले में उक्त दोनों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।
सत्ता का दुरुपयोग है
जनार्दन मून, वरिष्ठ समाजसेवी के मुताबिक आधार कार्ड एक ऐसा दस्तावेज है, जो किसी भी व्यक्ति के बारे में यह साबित करता है कि संबंधित व्यक्ति आखिर कौन है। शिकायतकर्ता व आरएसएस के पदाधिकारियों के पास ऐसे कौन से दस्तावेज हैं। यहां पर बस सत्ता का दुरुपयोग हो रहा है।