अभियान: फटकार लगते ही चला बुलडोजर : डेढ़ माह में 756 अवैध निर्माण ढहाए, अब तक 1403 अतिक्रमण साफ
- 2681 फिलहाल बचे हुए हैं निर्माण कार्य
- मनपा, नासुप्र और एनएमआरडीए तीनों ही एक्शन में
- कार्रवाई में देरी होने पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
डिजिटल डेस्क, नागपुर। शहर और आसपास के इलाकों में सिर्फ डेढ़ महीने में 756 अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चला है। यह तेजी अवैध निर्माण हटाने को लेकर बाम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ की फटकार के बाद आई। मनपा, नासुप्र और नागपुर महानगर विकास प्राधिकरण (एनएमआरडीए) तीनों ही एक्शन में आए। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने इन तीनों प्रशासनों को अवैध निर्माणों को गंभीरता से लेने की ताकीद की थी, अन्यथा अवमानना कार्रवाई के लिए तैयार रहने को मौखिक आदेश दिए थे।
जनहित याचिका पर संज्ञान : नागपुर खंडपीठ में अजय तिवारी ने जनहित याचिका दायर करके जिले में सभी अवैध निर्माणों को हटाने की मांग की थी। बाद में तिवारी इस याचिका से अलग हो गए, लेकिन अहम मुद्दा होने के कारण कोर्ट ने इस जनहित याचिका पर खुद से सुनवाई करने का फैसला लिया। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने अवैध निर्माण हटाने पर हो रही देरी के चलते प्रशासन को जमकर फटकार लगाई थी। साथ ही मनपा, नासुप्र और एनएमआरडीए के साथ अन्य संबंधित अधिकारियों को कोर्ट में हाजिर रहने के आदेश दिये थे। यह भी कहा था कि मनपा, नासुप्र और एनएमआरडीए जब भी अवैध निर्माण हटाने को लेकर कार्रवाई करेगी, तो तत्काल पुलिस बंदोबस्त उपलब्ध कराना होगा।
यह जानकारी दी : मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। तब एनएमआरडीए के सहआयुक्त अविनाश कठाडे ने शपथ-पत्र दायर करते हुए अवैध निर्माण हटाने की जानकारी दी।
इस शपथ-पत्र के अनुसार, मनपा, नासुप्र और एनएमआरडीए की सीमा के भीतर कुल 4668 अवैध निर्माणों को "ए' सूची में शामिल किया गया है। इन अवैध निर्माणों को हटाने काम शुरू है। अब तक इनमें से 1403 निर्माणों को हटा दिया गया है।
पिछले डेढ़ महीने में इनमें से 756 निर्माण तोड़े जा चुके हैं। फिलहाल 3200 से ज्यादा अवैध निर्माण बचे हुए हैं। इनमें से 588 निर्माण सीमाओं में बदलाव के कारण विभिन्न संगठनों को हस्तांतरित कर दिए गए हैं।
इसके अलावा कुल 2681 अवैध निर्माण बचे हैं और उन्हें भी तोड़ने की प्रक्रिया चल रही है। न्यायालय मित्र रुप में एड. अपूर्व डे ने पक्ष रखा। मनपा की ओर से एड. सुधीर पुराणिक, नासुप्र की ओर से एड. गिरीश कुंटे और राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे ने पैरवी की।