विकास: विदर्भ के 131 में से सिर्फ 46 सिंचाई प्रकल्प ही हुए पूरे, अन्य का कार्य अधर में
- हाई कोर्ट में मुख्य सचिव ने दी जानकारी
- पर्यावरण, वन मंजूरी में कठिनाई के चलते हो रही देरी
- लागत बढ़ने से अटका काम
डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर खंडपीठ में लोकनायक बापूजी अणे स्मारक समिति सदस्य अमृत दीवान ने जनहित याचिका दायर कर विदर्भ के अधूरे सिंचाई प्रकल्पों का मुद्दा उठाया। मामले पर बुधवार को हुई सुनवाई में राज्य के मुख्य सचिव डॉ. नितीन करीर ने शपथपत्र दायर करते हुए कोर्ट को बताया कि, 131 प्रस्तावित सिंचाई प्रकल्पों में से अब तक 46 सिंचाई प्रकल्प पूरे किए गए हैं। विदर्भ का 35 प्रतिशत भाग वनों से आच्छादित है। इस कारण सिंचाई प्रकल्प के लिए पर्यावरण, वन मंंजूरी लेना, भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास, काली कपास मिट्टी और खारा क्षेत्र सहित तकनीकी कठिनाइयांे का सामना करना पड़ रहा है। इसलिए विदर्भ में सिंचाई प्रकल्प पूरे करने में देरी हो रही है।
फटकार लगाई थी : मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। विदर्भ सिंचाई प्रकल्पों के बैकलॉग के संबंध में हाई कोर्ट ने 18 जुलाई 2023 को एक आदेश पारित करते हुए प्रकल्पों के स्थिति पर समावेशी रिपोर्ट दायर करने के आदेश दिए थे। इसपर मुख्य सचिव ने शपथपत्र दायर किया था। लेकिन प्रश्न का ठोस उत्तर ना देने के कारण कोर्ट ने 20 दिसंबर 2023 को सख्त लहजे में फटकार लगाई थी। इसके चलते बुधवार को हुई सुनवाई में मुख्य सचिव ने शपथपत्र दायर करते हुए विदर्भ के सिंचाई प्रकल्पों से संबंधित विस्तृत जानकारी दी। याचिकाकर्ता की ओर से एड. अविनाश काले, राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे और वीआईडीसी की ओर से एड. जेमिनी कासट ने पैरवी की। अब इस मामले में तीन सप्ताह के बाद सुनवाई रखी गई है।
विदर्भ के सिंचाई प्रकल्पों की स्थिति
प्रकल्प का प्रकार पूरे हुए प्रगति पर रद्द शुरू ही नहीं कुल
टाईप 1 22 23 .... .... 45
टाईप 2 08 19 05 01 33
टाईप 3 16 17 11 09 53
कुल 46 59 16 10 131