घोटाला: कृषि औजार किट आपूर्ति घोटाले की बड़ी हो सकती है फेहरिस्त, सामने आ सकते हैं और कई नाम

  • संपूर्ण नागपुर में गड़बड़ी की आशंका
  • महिला बचत समूहों के प्रमाणपत्र पर भी संदेह
  • निष्पक्ष जांच की उठ रही मांग

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-17 11:00 GMT

डिजिटल डेस्क, नागपुर। उमरेड तहसील में कृषि औजार किट आपूर्ति में घोटाले के बाद संपूर्ण नागपुर में इस तरह की धांधली होने का मामला सामने आया है। समाज कल्याण विभाग द्वारा संपूर्ण नागपुर जिले में 100 महिला बचत समूहों को कृषि औजार किट की आपूर्ति की गई थी। कुछ महिला बचत समूहों के प्रमाणपत्र अब संदेह के घेरे में हैं। विभाग के कुछ कर्मचारी इसमें शामिल होने की चर्चा है। ऐसे में इसका दायरा संपूर्ण नागपुर जिले में होने की चर्चा को बल मिल रहा है। अब संपूर्ण जिले में महिला बचत समूहों की जांच होती है या फिर जांच सिर्फ उमरेड तक सीमित रहती है, यह देखना दिलचस्प होगा।

प्राथमिक जांच में कई चौंकाने वाले मामले सामने आए : समाज कल्याण विभाग द्वारा वर्ष 2021-22 में जिले के 100 महिला बचत समूहों को कृषि औजार देने की योजना शुरू की गई थी। इसके लिए खनिज प्रतिष्ठान से 8 करोड़ 71 लाख की निधि मंजूर हुई। प्रत्येक महिला बचत समूह को 8 लाख 71 हजार की सामग्री दी गई थी। यह सामग्री 90 प्रतिशत अनुदान पर दी गई और 10 प्रतिशत रकम लाभार्थी बचत समूहों को देनी थी। उमरेड तहसील के महिला बचत समूहों को सामग्री मिली ही नहीं। इस बाबत शिकायत महिला बचत समूहों ने की है, जिसकी जांच समाज कल्याण विभाग ने शुरू कर दी है। प्राथमिक स्तर पर की गई जांच में कुछ चौंकाने वाले मामले सामने आए हैं।

अनुदान खाते में जमा करने के बाद तत्काल निकाल लिया : अनुदान की रकम लाभार्थी बचत समूहों के खाते में आने के बाद तत्काल उसे निकाल लिया गया। आपूर्तिकर्ता द्वारा कुछ ही महिला बचत समहों को यह सामग्री दी गई, किंतु उसे खराब बताकर वह भी वापस ले ली। उमरेड तहसील के महिला बचत समूह ने इसकी शिकायत की। अब इस तरह की शिकायतें अनेक महिला बचत समूहों से आ रही हैं। सूत्रों ने बताया कि, कुछ महिला बचत समूहों के प्रमाणपत्र भी संदेहास्पद हैं। कुछ प्रमाणपत्रों पर पिछले एक-दो वर्ष की तारीख है, इसलिए संदेह जताया जा रहा है कि, फर्जी नामों से बचत समूह तैयार किए गए हैं। विभाग के अधिकारी, कर्मचारियों ने जांच-पड़ताल िकए बिना ही अनुदान की रकम अदा की है। चर्चा है कि, इसमें विभाग के कुछ अधिकारी-कर्मचारियों की भी मिलीभगत है।


 

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