शोध: सारस की कम होती संख्या चिंताजनक, वेट लैंड दस्तावेजों पर 8 सप्ताह में अंतिम रिपोर्ट

सारस की कम होती संख्या चिंताजनक, वेट लैंड दस्तावेजों पर 8 सप्ताह में अंतिम रिपोर्ट
  • हाई कोर्ट में राज्य सरकार ने दी पूरी जानकारी
  • नागपुर सहित 4 जिले में शोध संस्थान का काम शुरू
  • अगली सुनवाई के पहले शपथ-पत्र दायर करने के आदेश

डिजिटल डेस्क, नागपुर। बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ में सारस पक्षियों के संवर्धन को लेकर सू-मोटो जनहित याचिका लंबित है। इस मामले में हुई सुनवाई में राज्य सरकार ने कोर्ट में जानकारी दी कि नागपुर, चंद्रपुर, भंडारा और गोंदिया जिले में सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेट लैंड की पहचान करना, दस्तावेज तैयार करने काम नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) शोध संस्थान द्वारा शुरू है। इस शोध संस्थान ने चारों जिले की अंतिम रिपोर्ट आठ सप्ताह में देने का आश्वासन दिया है। राज्य सरकार द्वारा दी गई यह जानकारी कोर्ट ने रिकार्ड पर ली है। साथ ही कोर्ट ने राज्य वेट लैंड प्राधिकरण और चारों जिले के जिलाधिकारियों को अगली सुनवाई के पहले शपथ-पत्र दायर करने के आदेश दिए हैं।

हाल के वर्षों में नागपुर विभाग के गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों की संख्या तेजी से कम हो रही है। ऐसे में समाचार पत्रों में इस विषय के प्रकाशित होने के बाद हाई कोर्ट ने मामले का संज्ञान लेकर सू-मोटो जनहित याचिका दायर की है। इस मामले में विविध पहलुओं पर गौर करने के बाद कोर्ट ने गोंदिया-भंडारा और चंद्रपुर में पाए जाने वाले सारस पक्षियों के संवर्धन के लिए हर जिले में जिलाधिकारी की अध्यक्षता में स्वतंत्र सारस संवर्धन समितियां गठित की हैं। बाद में नागपुर जिलाधिकारी को इसमें जोड़ा गया।

शोध संस्था से करार : इस समिति को अपने जिले के क्षेत्र में सारस पक्षियों के संवर्धन और उनके अधिवास के लिए वेट लैंड की पहचान करना है, लेकिन राज्य वेट लैंड प्राधिकरण में कार्यरत अधिकारी और कर्मचारियों की कमी को दखते हुए राज्य वेट लैंड प्राधिकरण ने नेशनल सेंटर फॉर सस्टेनेबल कोस्टल मैनेजमेंट (एनसीएससीएम) नामक शोध संस्था के साथ समझौता करार किया गया है। यह शोध संस्था गोंदिया, भंडारा, चंद्रपुर और नागपुर के जिलाधिकारी को वेट लैंड संबंधी दस्तावेज तैयार करने में सहायता कर रही है। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने वेट लैंड की पहचान के लिए अब तक उठाए गए कदमों के बारे रिपोर्ट प्रस्तुत करने के चारों जिलाधिकारी को आदेश दिए थे।

31 जुलाई को सुनवाई : मामले पर न्या. नितीन सांबरे और न्या. अभय मंत्री के समक्ष सुनवाई हुई। राज्य सरकार ने कोर्ट को बताया कि चारों जिलाधिकारी एनसीएससीएम शोध संस्थान के संपर्क में हैं और इस शोध संस्थान ने आठ सप्ताह में अपनी अंतिम रिपोर्ट पेश करने का आश्वासन दिया है। इसलिए कोर्ट ने उक्त आदेश जारी किए। अब याचिका पर कोर्ट ने 31 जुलाई को सुनवाई रखी है। मामले में एड. राधिका बजाज न्यायालय मित्र की भूमिका में हैं। राज्य वेट लैंड प्राधिकरण के वरिष्ठ विधिज्ञ एस. के. मिश्रा और राज्य सरकार की ओर से एड. दीपक ठाकरे ने पैरवी की।

Created On :   28 Jun 2024 10:20 AM GMT

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