विधान परिषद: अधर में लटकी परियोजनाओं को अब एमएमआरडीए, सिडको और म्हाडा पूरा करेगी

अधर में लटकी परियोजनाओं को अब एमएमआरडीए, सिडको और म्हाडा पूरा करेगी
  • विधान परिषद में उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने दी जानकारी
  • प्रवीण दरेकर ने परियोजनाओं की सुस्त गति को लेकर उठाया सवाल
  • बिल्डरों के मुश्किल में फंसने के कारण अटका पड़ा है कार्य

डिजिटल डेस्क, मुंबई। मुंबई के झोपड़पट्टी पुनर्वसन प्राधिकरण (एसआरए) की अधर में लंबित परियोजनाओं का काम अब एमएमआरडीए, सिडको, म्हाडा और मुंबई मनपा के जरिए पूरा किया जाएगा। इस बारे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में हुई बैठक में नीतिगत निर्णय लिया गया है। अब जल्द ही इसको लेकर अगली कार्यवाही पूरी की जाएगी। विधान परिषद में उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने यह जानकारी दी। गुरुवार को प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य प्रवीण दरेकर ने एसआरए की परियोजनाओं की सुस्त गति को लेकर सवाल पूछा था। दरेकर ने कहा कि जिस गति से एसआरए की इमारतों का काम चल रहा है, उसको देख कर लगता है कि एसआरए के घरों का काम 100 साल में पूरा नहीं हो सकेगा। इस पर फडणवीस ने कहा कि बिल्डरों के मुश्किल में फंसने के कारण एसआरए की परियोजनाओं अलग-अलग चरणों में अटकी पड़ी हैं। इससे एमएमआरडीए, सिडको, म्हाडा जैसी संस्थाएं लंबित परियोजनाओं का काम पूरा करेंगी तो इन परियोजनाओं को गति मिल सकती है। इस बीच फडणवीस ने कहा कि जिस जगह पर जमीन की कीमत अधिक है। केवल उन्हीं जगहों पर एसआरए की योजना प्रभावी रूप से सफल हो पा रही है।

एसआरए के घरों को बेचने के लिए एनओसी ऑनलाइन मिलेगी- अतुल सावे : इस बीच भाजपा के सदस्य भाई गिरकर ने एसआरए के घरों को बेचने के लिए अनापत्ति प्रमाणपत्र (एनओसी) देरी से मिलने को लेकर सवाल पूछा। इस पर राज्य के गृहनिर्माण मंत्री अतुल सावे ने कहा कि एसआरए के घरों को बेचने के लिए अब अनापत्ति प्रमाणपत्र ऑनलाइन दिया जाएगा। आवेदन करने के 45 दिनों के भीतर प्रमाणपत्र मिल सकेगा। अगले एक महीने में ऑनलाइन एनओसी देने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। सावे ने कहा कि एसआरए के घरों को 10 साल के बजाय 5 साल में बेचने की अनुमति का नियम लागू कर दिया गया है। एसआरए के घरों को बेचने के लिए हस्तांतरण शुल्क 1 लाख रुपए के बजाय 50 हजार रुपए देना पड़ता है। रक्त संबंधी हस्तांतरण में केवल 200 रुपए वसूले जाते हैं।

बिजली कर्मियों का न्यूनतम वेतन बढ़ाने तैयार होगी श्रेणी : प्रदेश सरकार की तीनों बिजली कंपनी महावितरण, महानिर्मिति और महापारेषण के ठेका कर्मियों के न्यूनतम वेतन बढ़ाने के लिए संबंधित अधिनियम में एक विशेष श्रेणी तैयार करने के श्रम विभाग को कहा गया है। राज्य के श्रम आयुक्त तीनों बिजली कंपनियों के ठेका कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन दर के लिए स्वतंत्र अनुसूची तैयार करेंगे। अगले चार महीने में बिजली कर्मचारियों का न्यूनतम वेतन दर बढ़ाने के बारे में अंतिम फैसला ले लिया जाएगा। उपमुख्यमंत्री तथा ऊर्जा मंत्री देवेंद्र फडणवीस ने विधान परिषद में यह जानकारी दी है। प्रश्नकाल में भाजपा सदस्य श्रीकांत भारतीय ने बिजली कंपनियों के ठेका कर्मियों को कम वेतन मिलने के बारे में सवाल पूछा था। इसके जवाब में फडणवीस ने कहा कि तीनों बिजली कंपनियों के ठेका कर्मचारियों को वर्तमान में प्रचलित न्यूनतम वेतन दर दिया जाता है। बिजली कंपनियों के कर्मचारी संगठनों ने अलग से न्यूनतम वेतन दर तय करने की मांग की है। इसके आधार पर श्रम विभाग को निर्देश दिए गए हैं। फडणवीस ने कहा कि ठेका कर्मचारियों को लगभग 62 प्रतिशत भत्ता प्रदान किया जाता है। ठेका कर्मियों को वेतन सीधे उनके बैंक खाते में दिया जाता है। फिर भी कई जगहों पर खाते में वेतन मिलने के बाद ठेकेदार द्वारा पैसे मांगने की शिकायतें मिली हैं। फडणवीस ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के कारण ठेका कर्मियों को दैनिक वेतन पर नहीं रखा जा सकता है। इसलिए इन्हें ठेका कर्मचारी ही माना जाएगा। लेकिन बिजली कंपनियों के नियमित भर्ती में ठेका कर्मचारियों को प्राथमिकता दी जाएगी।


Created On :   4 July 2024 2:09 PM GMT

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