बॉम्बे हाईकोर्ट में दलील: राज्य सरकार ने कानून के तहत औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदला

  • महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ बॉम्बे हाई कोर्ट में दी दलील
  • 4 अक्टूबर को जनहित याचिका पर अगली सुनवाई

Bhaskar Hindi
Update: 2023-09-29 14:06 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. राज्य सरकार ने कानून के तहत औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदला। सरकार को लोगों की भावनाओं के आधार पर किसी भी शहर या स्थान का नाम बदलने का अधिकार है। बॉम्बे हाई कोर्ट में महाधिवक्ता डॉ. बीरेंद्र सराफ ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह दलील दी। मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को होगी। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ एस डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष शुक्रवार को शेख मसूद इस्माइल शेख की ओर से वरिष्ठ वकील एस.बी.तलेकर और वकील माधवी अयप्पन की दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। याचिकाकर्ता के वकील तलेकर ने कहा कि औरंगाबाद और उस्मानाबाद का नाम बदलने के जहां एक समाज की धार्मिक भावना को ठेस पहुंचा है, बल्कि शहर की ऐतिहासिक पहचान को भी नुकसान पहुंचा है। शिवसेना के एक सांसद के पत्र के आधार पर सरकार ने दोनों शहरों का नाम क्रमश: छत्रपति संभाजी नगर और धाराशिव कर दिया है। सरकार ने अपने अधिकार का गलत इस्तेमाल किया है। याचिका में दोनों शहरों समेत जिला एवं तहसील के नाम बदलने पर रोक लगाने की मांग की।

राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता डॉ.सराफ ने कहा कि सरकार ने कानून के तहत दोनों शहर का नाम बदला है। उसे किसी भी शहर या स्थान का नाम बदलने का अधिकार है। सहकार ने यह निर्णय लोगों के सामूहिक भावना के आधार पर लिया है। खंडपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 4 अक्टूबर को रखा है।

सरकार ने 15 सितंबर की रात को आधिकारिक तौर पर दोनों जिलों और राजस्व क्षेत्रों का नाम भी बदल दिया है। राजस्व विभाग के माध्यम से जारी अपनी अधिसूचना में राज्य सरकार ने कहा कि सरकार ने जिलों के नाम बदलने के लिए सुझावों और आपत्तियों पर विचार कर उप-मंडल, गांव, तालुका और जिला स्तरों के नाम बदलने का निर्णय लिया है। पिछले साल जून में पिछली महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार की आखिरी कैबिनेट की बैठक के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने औरंगाबाद का नाम बदलकर संभाजी नगर और उस्मानाबाद शहर का नाम धाराशिव करने की मांग को मंजूरी दे दी थी।

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