अवैध स्कूलों को बचाने उतरे शरद पवार, शिक्षा आयुक्त को किया फोन
- विद्यार्थियों के भविष्य को देखते हुए नियमों में ढील देने की मांग
- अवैध स्कूलों को बचाने उतरे शरद पवार
- शिक्षा आयुक्त को किया फोन
डिजिटल डेस्क, मुंबई. राज्य के अवैध स्कूलों के प्रबंधकों को अब राकांपा प्रमुख शरद पवार का समर्थन मिला है। अवैध स्कूलों को शिक्षा विभाग द्वारा जारी की गई नोटिस से परेशान स्कूल मैनेजमेंट फेडरेशन का एक शिष्टमंडल सोमवार को पवार से मिला और उन्हें अपनी परेशानी बताई। इसके बाद पवार ने राज्य के शिक्षा आयुक्त सूरज मांढरे को फोन किया और अवैध स्कूलों को लेकर नया प्रस्ताव तैयार करने की आग्रह किया।
शिक्षा आयुक्त ने दिया आश्वासन
पवार के निर्देश पर मंगलवार को राकांपा प्रवक्ता अमोल मातेले के साथ स्कूल मैनेजमेंट फेडरेशन के सदस्यों ने शिक्षा आयुक्त मांढरे से मुलाकात कर लिखित में अपनी मांग रखी। मातेले ने बताया कि मांढरे ने आश्वासन दिया है कि स्कूलों को मान्यता देने को लेकर वे सकारात्मक रुख अपनाएंगे, साथ ही अवैध स्कूलों को बंद करने का जो नोटिस दिया जा रहा था, उसे भी रोकना की बात कही है।
क्या है मामला
दरअसल राज्य सरकार ने पिछले साल राज्य में 674 अवैध स्कूलों की पहचान की थी, जिसे आगामी शैक्षणिक सत्र से पहले बंद किया जाना था। इनमें से 265 स्कूल मुंबई में हैं और ज्यादातर झुग्गी बस्तियों में चलते हैं। इन स्कूलों में करीब 45 हजार विद्यार्थी पढ़ते हैं, जिनके भविष्य पर तलवार लटक रही है। हालांकि शिक्षा विभाग इन विद्यार्थियों को नजदीकी स्कूल में दाखिला दिलाने का आश्वासन दे रहा है, लेकिन अभिभावक नहीं चाहते कि उनके बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ें। मातेले ने कहा कि कम से कम जिन स्कूलों के पास यूडीआईएसई नंबर हैं, उन्हें मान्यता दी जानी चाहिए।
‘संभव नहीं शर्तें पूरा करना’
स्कूल मैनेजमेंट फेडरेशन की सदस्य शबाना खान ने कहा कि पांच हजार वर्गफुट जमीन, 7/12 का उतारा, 30 साल की लीज और 20 लाख की सावधि जमा(एफडी) जैसी शर्तों को पूरा करना झुग्गी बस्ती में चलने वाले स्कूलों के लिए संभव नहीं है। हमें स्कूल बंद करने का नोटिस दिया गया है। इसके बाद हम हर किसी से मदद मांग रहे हैं।
मुंबई के गोवंडी इलाके में भी 56 स्कूलों को अवैध बताकर बंद करने का नोटिस दिया गया है। इसी कड़ी में हम शरद पवार के पास भी पहुंचे थे। इसके बाद पवार साहब ने मांढरे से बात की और हमारा पक्ष रखा और उनसे कहा कि नियमों में ढील देकर इन स्कूलों को बचाने की कोशिश की जाए। मांढरे ने भी आश्वासन दिया है कि वे इस पर विचार करेंगे।