हाईकोर्ट: रायगढ़ में मुरुड-जंजीरा किले के पास घाट निर्माण के खिलाफ जनहित याचिका खारिज

  • प्रभावित हो ने पर मछुआरों द्वारा दायर की जा सकती है याचिका
  • अरब सागर तट से दूर एक द्वीप पर स्थित मुरुड-जंजीरा के किले के पास है घाट

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-26 16:06 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने सोमवार को रायगढ़ जिले में अरब सागर तट से दूर एक द्वीप पर स्थित मुरुड-जंजीरा के किले के पास घाट के निर्माण को चुनौती देने वाली जनहित याचिका (पीआईएल) खारिज कर दी।जनहित याचिका में दावा किया गया था कि एक द्वीप पर स्थित मुरुड-जंजीरा के तटीय किला भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा संरक्षित एक ऐतिहासिक स्मारक था।

मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति आरिफ डॉक्टर की खंडपीठ के समक्ष सामाजिक कार्यकर्ता और बीजेपी के स्थानीय नेता महेश मोहिते द्वारा दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान खंडपीठ ने कहा कि न तो मछुआरा समाज द्वारा याचिका दायर की गई है और न ही एएसआई को प्रतिवादी बनाया गया है। याचिका मछुआरों द्वारा दायर की जा सकती थी। हमें एक राजनेता की याचिका पर विचार क्यों करना चाहिए? समाज को याचिका दायर करने दें।

खंडपीठ ने यह भी टिप्पणी की कि याचिकाकर्ता न्यायालय को राजनीतिक उद्देश्यों के लिए कानूनी कार्यवाही का उपयोग नहीं कर सकता। हम राजनीति खेलने के लिए मैदान उपलब्ध नहीं करा सकते हैं। सोसायटी ने याचिका क्यों नहीं दायर की? हम इसकी सराहना नहीं करते। आप सोसायटी के कोई पदाधिकारी या सदस्य नहीं हैं। अदालत ने जनहित याचिका को खारिज कर दिया, लेकिन घाट निर्माण से प्रभावित मछुआरों को कानून के तहत उचित उपाय खोजने की स्वतंत्रता दी।

जनहित याचिका में दावा किया गया था कि महाराष्ट्र मैरीटाइम बोर्ड ने घाट के निर्माण के लिए एक निजी कंपनी को टेंडर दिया है और घाट का निर्माण मुरुद-जंजीरा किले के प्रवेश द्वार पर किया जाना है। 1982 में महाराष्ट्र सरकार द्वारा जारी एक अधिसूचना के अनुसार ऐसा निर्माण अवैध था। स्मारकों के आसपास अस्थायी या स्थायी संरचनाओं को प्रतिबंधित कर दिया गया है।



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