मनी लॉन्ड्रिंग मामला : नागपुर के वकील उके भाईयों को हाईकोर्ट से नहीं मिली राहत
- मनी लॉन्ड्रिंग मामला
- जमानत याचिका खारिज
- उके भाईयों को नहीं मिली राहत
डिजिटल डेस्क, मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में नागपुर के वकील सतीश उके और उनके भाई प्रदीप उके की जमानत याचिका खारिज कर दी। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने उनकी जमानत का कड़ा विरोध किया। ईडी ने पिछले साल अप्रैल में वकील सतीश उके और उनके भाई प्रदीप उके को कथित तौर पर जाली दस्तावेज के आधार पर 1.5 एकड़ भूखंड खरीदने के मामले में गिरफ्तार किया था।
न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई की एकलपीठ के समक्ष सोमवार को वकील उके भाइयों की जमानत याचिका पर सुनवाई हुई। उके भाइयों की ओर से वरिष्ठ वकील मिहिर देसाई अदालत में दलील दी कि जमानत मिलना हर आरोपी का अधिकार है। दोनों भाई इस समय आर्थर रोड जेल में बंद हैं। वे जांच में सहयोग कर रहे हैं। ऐसे में उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। ईडी की ओर से वरिष्ठ वकील अनिल सिंह और वकील हितेन वेनेंगावकर ने उके भाइयों को पीएमएलए एक्ट के तहत जमानत दिए जाने का विरोध किया।
जमीन हड़पने का आरोप
उके भाईयों के खिलाफ नागपुर के अंजनी पुलिस स्टेशन में दो मामले दर्ज किए गए थे। आरोप है कि सतीश और प्रदीप ने धोखाधड़ी कर चंद्रशेखर नामदेवराव माटे एवं खैरुन्निसा के नाम पर नकली पीओए (पॉवर ऑफ अटॉर्नी) बनाया और उनकी जमीन हड़प ली थी। इसी आधार पर ईडी ने उनके खिलाफ पीएमएलए अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की थी।
पिछले साल विशेष पीएमएलए अदालत ने उनकी जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। उस समय अदालत ने कहा था कि पीएमएलए के प्रावधानों के तहत दर्ज किए गए विभिन्न दस्तावेज और बयानों से प्रथम दृष्टया संकेत मिलता है कि दोनों आरोपियों ने जाली पॉवर ऑफ अटॉर्नी बनाया था। उन्होंने उससे जमीन हड़पी और बाद में उसे नकदी लेकर बेच दिया। दोनों प्रभावशाली व्यक्ति हैं और इस बात की पूरी संभावना है कि जमानत पर रिहा होने पर वे ईडी के मामले को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा सकते हैं।