Mumbai News: शहरों को डूबने से बचा सकती है छतों की हरियाली, आईआईटी बॉम्बे के शोधार्थियों का दावा

  • गुजरात के ओढव में बनाया गया 100 हेक्टेयर में फैला प्रतिरूप
  • 25 फीसदी, 50 फीसदी और 75 फीसदी तक हरित छतें बनाई

Bhaskar Hindi
Update: 2024-11-04 13:14 GMT

Mumbai News : घरों की छतों पर छोटे पौधे लगाकर शहरों में होने वाले जलजमाव की समस्या को कम किया जा सकता है। यही नहीं इसकी मदद से बाढ़ के समय जल प्रवाह की गति को भी कम कर बड़े नुकसान से बचा जा सकता है। आईआईटी मुंबई के प्राध्यापक प्रदीप कालबर, प्राध्यापिका अर्पिता मंडल और अहमदाबाद स्थित सीईपीटी विश्वविद्यालय के प्राध्यापक तुषार बोस ने संयुक्त शोध के बाद यह दावा किया है। हरित छतों के चलते बाढ़ की स्थिति में होने वाले बदलाव का अध्ययन करने के लए गुजरात के अहमदाबाद में स्थित ओढव क्षेत्र को चुना गया। यहां 100 हेक्टेयर क्षेत्र में तैयार किए गए शहर के प्रतिरूप (मॉडल) को 19 उप-जलग्रहण क्षेत्रों (सब कैचमेंट एरिया) में विभाजित किया गया। हरित छतों की स्थापना के लिए उपयुक्त घरों की पहचान की गई। अध्ययन के लिए स्थानीय वर्षा का स्वरूप, भूप्रदेश, जलनिकासी के मार्ग पर भी विचार करते हुए संगणकीय (कंप्यूटरीकृत) प्रतिरूप तैयार किया गया। इसी के जरिए भारी बारिश की स्थिति में बाढ़ और जलप्रवाह से जुड़े अध्ययन किए गए। इसके अलावा अहमदाबाद नगर निगम और भारत मौसम विज्ञान के आंकड़ों का भी अध्ययन किया गया। अध्ययन के लिए 25 फीसदी, 50 फीसदी और 75 फीसदी तक हरित छतें बनाई गईं। 2, 5, 10 और 25 वर्षों में होने वाली अतिवृष्टि की स्थितियों पर विचार किया। इस बात का भी अध्ययन किया गया कि लगातार 2 से 4 घंटे की बरसात में कैसे हालात बनेंगे।

क्या निकले नतीजे

अध्ययन के नतीजे चौंकाने वाले थे। हरित छतों की मदद से बाढ़ की स्थिति में 10 से 60 फीसदी तक की कमी देखी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि जैसे-जैसे हरित छतें बढ़ती हैं इलाके में बाढ़ और जलप्रवाह में कमी आती जाती है। हालांकि बाढ़ की स्थिति इस बात पर भी निर्भर करती है कि इलाके में जल निकासी की व्यवस्था कैसी है। शोध से जुड़े प्राध्यापक प्रदीप कालबार ने कहा कि जो नतीजे सामने आए हैं वह शहरों के नीति निर्माताओं को हरित छत जैसी योजनाएं बनाने में मददगार साबित हो सकता हैं।

कैसे बनाए जा सकते हैं हरित छत

शोधकर्ताओं के मुताबिक छतों पर छोटे-छोटे पेड़ लगाने के लिए उन पर जलरोधी झिल्ली लगाने के साथ जल निकासी प्रणाली की व्यवस्था करनी होगी। छतों पर मिट्टी की हल्की परत डालकर इस पर छोटे-छोटे पौधे लगाए जा सकते हैं जिनकी जड़ें ज्यादा गहरी नहीं होती हैं। इससे रखरखाव का खर्च तो बढ़ेगा लेकिन इससे घर और ठंडे होंगे साथ ही वर्षा जल के संचय में भी मदद मिलेगी।

क्या हैं चुनौतियां

फिलहाल देश के शहरों में जो घर हैं उनमें से ज्यादातर की छतें पेड़ लगाने के लिए उपयुक्त नहीं हैं। झुग्गी-झोपड़ियों के साथ कम लागत वाले घरों में धातु या कंक्रीट के अस्तर वाली छतें होती हैं जो हरित छत के अनुकूल नहीं होगी। ऐसे में मौजूदा स्थिति में इसे बड़े पैमाने पर लागू करना मुश्किल है।

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