Mumbai News: गर्भपात मामला, नाबालिग की पहचान की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार समिति का करेगी गठन

गर्भपात मामला,  नाबालिग की पहचान की सुरक्षा के लिए राज्य सरकार समिति का करेगी गठन
  • राज्य की वेबसाइट, सोशल मीडिया, चिकित्सकों और फील्ड अधिकारी करेंगे मदद
  • कार्यशालाओं के माध्यम से प्रसारित करने की सरकार की तैयारी
  • राज्य सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट में दी जानकारी

Mumbai News बॉम्बे हाई कोर्ट में राज्य सरकार ने हलफनामा देकर कर आश्वासन दिया कि गर्भपात के मामलों में नाबालिग की पहचान की सुरक्षा के लिए सरकार चार सप्ताह में पैनल का गठन करेगी। राज्य की वेबसाइट, सोशल मीडिया, चिकित्सकों और फील्ड अधिकारियों के लिए कार्यशालाओं के माध्यम से प्रसारित करने का भी संकल्प है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट का फैसला चिकित्सकों (आरएमपी) को यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण अधिनियम (पोक्सो) के तहत अनिवार्य रूप से मामले की रिपोर्ट करते समय नाबालिग की पहचान को सुरक्षित रखने की अनुमति देता है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे और न्यायमूर्ति पृथ्वीराज चव्हाण की पीठ ने राज्य सरकार के आश्वासन को स्वीकार करते हुए समिति के गठन की समय सीमा को 4 सप्ताह की दी है। पीठ ने सरकार को उस समय सीमा में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया। सुनवाई के दौरान सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग के सचिव मिलिंद म्हैसकर ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले का व्यापक रूप से प्रचार करेगा। यह राज्य की आधिकारिक वेबसाइट, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म, चिकित्सकों और फील्ड अधिकारियों के लिए कार्यशालाओं के माध्यम से किया जाएगा। नाबालिग और उनके अभिभावक की सूचित सहमति से फोरेंसिक साक्ष्य को संभालने के प्रोटोकॉल सहित सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों का उचित कार्यान्वयन सुनिश्चित करने के लिए चार सप्ताह के भीतर एक समिति गठित की जाएगी।

14 सप्ताह की गर्भवती 16 वर्षीय लड़की ने अदालत से गर्भपात की अनुमति मांगी थी। नाबालिग और उसके परिजनों ने अदालत से अनुरोध किया था कि सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के अनुसार नाबालिग की पहचान का खुलासा न किया जाए। पीठ ने नाबालिग का नाम बताए बिना गर्भपात की अनुमति दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया था कि सहमति से यौन गतिविधि में शामिल 18 वर्ष से कम उम्र के सभी नाबालिगों को एमटीपी सेवाएं मिल सकें, यह सुनिश्चित करने के लिए एमटीपी अधिनियम को पोक्सो अधिनियम के अनुरूप होना चाहिए।

Created On :   29 Nov 2024 7:15 PM IST

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