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Mumbai News: अजित पवार बंटेंगे तो कटेंगे नारे का सही अर्थ नहीं समझ सके: फडणवीस
- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चर्चा में है नारा
- विभिन्न मुद्दों पर अपने सरकारी आवास पर की चर्चा
Mumbai News विजय सिंह "कौशिक'. उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा पहली बार इस्तेमाल किए गए नारे "बंटेंगे तो कटेंगे' अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में चर्चा में है। योगी के अलावा भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेता भी यह नारा बुलंद कर रहे हैं। हालांकि इस नारे को लेकर भाजपा के मित्र दल सहमत नहीं हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता व उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने "बंटेंगे तो कटेंगे' के अलावा शरद पवार के साथ बैठक, वोट जिहाद से लेकर मुख्यमंत्री पद और "उधार पर उम्मीदवार' सहित विभिन्न मुद्दों पर अपने सरकारी आवास पर "दैनिक भास्कर' से बातचीत की।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का नारा "बंटेंगे तो कटेंगे' की खूब चर्चा है पर आप के मित्र दल राकांपा (अजित) के अध्यक्ष अजित पवार ही इस नारे से सहमत नहीं हैं?
दरअसल, अजित पवार इसका मतलब नहीं समझ सके। इतिहास गवाह है देश धर्म, जाति, प्रांत व भाषा के नाम पर जब-जब बंटा, तब तब आक्रांताओं ने हमारे देश पर हमले कर शासन किया। इससे हमारा देश व समाज बंटा। हमारे प्रधानमंत्री ने भी कहा है कि एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे। हम एकता की बात कर रहे हैं। कांग्रेस समाज को बांटने का काम कर रही है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने वोट जिहाद चलाया। लोकसभा चुनाव में मालेगांव व अमरावती में वोट जिहाद का असर दिखाई दिया था। लोकसभा चुनाव के बाद विधानसभा चुनाव में भी विपक्ष वोट जिहाद चलाना चाहता है। मस्जिदों के बाहर पोस्टर लगाए जा रहे हैं कि "भाजपा के खिलाफ वोट नहीं दिया तो अल्लाह के साथ धोखा होगा।' यह कैसी धर्मनिरपेक्षता है।
भाजपा ने अपने करीब 20 नेताओं को अपने सहयोगी दलों को चुनाव लड़ने के लिए "उधार' दिया। क्या मित्र दलों के पास उम्मीदवार नहीं थे अथवा यह रणनीति का हिस्सा हैॽ
मित्र दलों की छोड़िए शिवसेना (उद्धव) के उम्मीदवारों की सूची में भी हमारे 17 नेता शामिल हैं। दरअसल, हमारे लोग ढाई साल से चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। कुछ नेताओं में धैर्य था तो कुछ में नहीं था। वे चुनाव लड़ना चाहते थे। इसलिए उन्हें मित्र दलों से उम्मीदवारी मिल गई।
आप लोगों को राहुल गांधी के लाल संविधान वाली किताब से क्यों शिकायत हैॽ
राहुल गांधी ये जो संविधान-संविधान का राग अलाप रहे हैं, दरअसल लैटिन अमेरिकी देश की नकल है। नागपुर में उनकी पोल खुल गई। राहुल जो संविधान की किताब लेकर घूम रहे थे, उसके पन्ने कोरे थे।
चुनाव बाद मुख्यमंत्री पद को लेकर महायुति में क्या कोई फार्मूला तय हुआ है?
मुख्यमंत्री पद को लेकर ज्यादा सीटें जीतने या ज्यादा स्ट्राइक रेट का कोई फार्मूला नहीं होगा। चुनाव परिणाम आने के बाद महायुति के तीनों दलों के राष्ट्रीय अध्यक्ष एकनाथ शिंदे, अजित पवार और हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष और संसदीय बोर्ड बैठकर इस बारे में फैसला लेगा।
पर भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह ने आपको मुख्यमंत्री बनाए जाने के संकेत दिए हैंॽ
मीडिया अमित भाई के बयान का गलत अर्थ निकाल रहा है। महाराष्ट्र में चुनाव अभियान का नेतृत्व मैं कर रहा हूं। इसलिए उन्होंने स्वाभाविक तौर पर मुझे विजयी बनाने की अपील की थी। मुख्यमंत्री पद का फैसला तीनों दलों के वरिष्ठ नेता बैठकर लेंगे।
पवार के यू-टर्न का क्या कारण रहा होगाॽ
पहले कांग्रेस उनके साथ आने को तैयार नहीं थी, पर बाद में तैयार हो गई। पवार साहब को लगा होगा कि देवेंद्र पांच साल मजबूती से सरकार चला चुका है। दिल्ली में भी अमित शाह और उसके ऊपर मोदी जी हैं। इसलिए उनके (उद्धव) साथ सरकार बनाना फायदेमंद होगा।
बीच में आप की उद्धव ठाकरे के साथ गुप्त मुलाकात की चर्चा हुई थीॽ
यह अफवाह है। नई सरकार बनने के बाद आजतक मेरी उद्धव जी से मुलाकात नहीं हुई। किसी कार्यक्रम में अथवा विधानभवन में कभी आमना-सामना हो गया, वह अलग बात है, लेकिन हमारी कोई बैठक नहीं हुई।
माहिम विधानसभा सीट पर भाजपा किसके साथ है?
हमारी इच्छा थी कि इस सीट पर अमित ठाकरे को समर्थन दें। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की भी यही इच्छा थी। हमारी बैठक में इस पर सहमति बन गई थी, लेकिन वहां के शिवसेना (शिंदे) के उम्मीदवार और उनके नेता कहने लगे कि यदि वहां हम अपना उम्मीदवार नहीं खड़ा करेंगे, तो उद्धव ठाकरे की पार्टी का उम्मीदवार जीत जाएगा।
महाराष्ट्र पर कई लाख करोड़ का कर्ज है इसके बावजूद चुनाव जीतने के लिए लोक-लुभावनी घोषणाएं की जा रही हैं। इसके लिए पैसे कहां से आएंगे?
महाराष्ट्र के कर्ज को लेकर बड़ा मिथक है। महाराष्ट्र की अर्थव्यवस्था 40 लाख करोड़ रुपए की है। इसलिए छह लाख करोड़ रुपए का कर्ज कोई ज्यादा नहीं है। कर्ज से ज्यादा अर्थव्यवस्था का आकार महत्वपूर्ण होता है।
Created On :   15 Nov 2024 10:08 AM GMT