सेना के सेवानिवृत्त जवानों और उनके परिजनों के संरक्षण के लिए राज्य के सभी जिलों में बनी समिति

  • पुलिस अधीक्षक और अतिरिक्त जिलाधिकारी समेत 5 लोग समिति के सदस्य
  • बांबे हाईकोर्ट के कड़े निर्देश पर राज्य सरकार के जीआर पर हुआ अमल
  • सरकारी वकील ने अदालत को दी जानकारी
  • अदालत ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए जीआर पर अमल का दिया था निर्देश

Bhaskar Hindi
Update: 2023-08-04 14:27 GMT

डिजिटल डेस्क, मुंबई, शीतला सिंह। भारतीय सेना के सेवानिवृत्त जवान सुजीत गजानन आप्टे ने बॉम्बे हाई कोर्ट में न्याय की गुहार लगाई। अदालत ने आप्टे की याचिका पर राज्य सरकार के उस शासनादेश (जीआर) पर अमल करने का आदेश दिया, जिसमें सेना के सेवानिवृत्त जवान और उनके परिजनों के संरक्षण के लिए राज्य के सभी जिलों में बनी एक समिति बनाने का निर्देश दिया गया था। सरकार ने गुरुवार को अदालत को बताया कि सेना के सेवानिवृत्त जवानों और उनके परिजनों के संरक्षण के लिए राज्य के सभी जिलों में समिति का गठन कर लिया गया है।

न्यायमूर्ति रेवती मोहिते-ढेरे और न्यायमूर्ति गौरी गोडसे की खंडपीठ ने गुरुवार को सेना के सेवानिवृत्त जवान सुजीत गजानन आप्टे की ओर से वकील ध्रुतिमान जोशी और वकील अमेय सावंत की दायर याचिका पर सुनवाई हुई। सरकारी वकील ने खंडपीठ को सूचित किया कि 23 जून को अदालत के दिए निर्देश पर राज्य के सभी जिलों सेना के सेवानिवृत्त जवानों और उनके परिजनों के संरक्षण के लिए समिति का गठन किया गया है। समिति में पुलिस अधीक्षक, अतिरिक्त जिलाधिकारी, जिला सैनिक अधिकारी, महिला पुलिस अधिकारी और जिला के प्रत्येक तहसील के सेना के सेवानिवृत्त जवान शामिल हैं। राज्य सरकार के 7 जून 2006 को राज्य के प्रत्येक जिले में सेना के सेवानिवृत्त जवानों और उनके परिजनों के संरक्षण समिति बनाने का शासनादेश (जीआर) जारी किया था। उस पर सुजीत आप्टे के हाईकोर्ट में याचिका दायर करने से पहले तक अमल नहीं किया गया था।

याचिकाकर्ता के वकील ध्रुतिमान जोशी ने कहा कि वडाला (पूर्व) में गणपति मंदिर मार्ग स्थित उद्योग मंदिर के पास सेना के सेवानिवृत्त जवान सुजीत आप्टे परिजनों के साथ रहते हैं। याचिकाकर्ता आप्टे के घर के पास उनके भाई समीर आप्टे के नाम से जमीन है, जिसके कंपाउंड के दिवार से सटे फुटपाथ पर साईं बाबा मंदिर बनाया गया था। मंदिर के आस-पास की जगह को नशेड़ियों ने अपना अड्डा बना लिया था। साल 2017 में अदालत के निर्देश पर साईंबाबा के इस मंदिर को बीएमसी ने तोड़ दिया था। यहां फीर से मंदिर बना लिया गया। बाद में सेवानिवृत्त सेना के जवान फलेचर पटेल ने हाईकोर्ट में अवमानना याचिका दायर किया।

अदालत के आदेश के बाद बीएमसी ने साईंबाबा मंदिर को फीर से तोड़ दिया। याचिकाकर्ता का दावा है कि क्योंकि मंदिर उनकी जगह के कंपाउंट से सटा था, इसलिस मंदिर को बनाने वालों ने 12 दिसंबर 2020 को उनके कंपाउड घुसकर 6 सीसीटीवी की तोड़फोड़ की और सुरक्षा गार्ड को मारने की धमकी दी। याचिकार्ता आप्टे ने आरएके मार्ग पुलिस स्टेशन में शिकायत किया, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर न्याय की गुहार लगाई और उन्होंने सेना के सभी सेवानिवृत्त जवानों के संरक्षण के लिए सरकारी जीआर पर अमल की मांग की।

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