गड़बड़ी: बंद स्कूलों में बांट रहे मध्यान्ह भोजन, जिम्मेदारों ने पोर्टल पर वितरण की करा दी फीडिंग

  • स्कूलों में मिड डे मील को लेकर बड़ा खुलासा
  • अफसरों ने मामला को संज्ञान में लिया
  • राज्य समन्वयक ने मांगा जवाब

Bhaskar Hindi
Update: 2024-05-26 17:20 GMT

डिजिटल डेस्क, सिवनी। सरकारी स्कूल बंद हैं और जिम्मेदार अफसर गड़बड़ी करने पर तुले हुए हैं। मामला मध्यान्ह भोजन वितरण से जुड़ा है। अफसरों ने स्कूल बंद होने के बाद भी मध्यान्ह भोजन वितरण करना बता डाला। बकायदा एएमएस (ऑटोमेटेड मॉनिटिरिंग सिस्टम) पोर्टल पर छात्र-छात्राओं की संख्या फीड कर दी। मामला जब विभागीय अफसरों के संज्ञान में आया तो हडकंप मच गया। इसके बाद आनन-फानन में जिला पंचायत सीईओ को नोटिस जारी कर गलत रिपोर्टिंग करने वाले स्कूल प्रभारियों पर कार्रवाई के निर्देश दिए।

डेढ़ माह के लिए स्कूल बंद

एक मई से 15 जून तक डेढ़ माह के लिए ग्रीष्मकालीन अवकाश है। इस दौरान स्कूल पूरी तरह से बंद है। इसके बाद भी जानते बूझते हुए स्कूल प्रभारियों ने फर्जीवाड़ा करते हुए एमएस पोर्टल पर यह बता डाला कि वे मध्यान्ह भोजन छात्र-छात्राओं को बांट रहे हैं। इतना ही नहीं बकायदा छात्र-छात्राओं की संख्या कक्षावार फीड करा दी।

राज्य समन्वयक ने मांगा जवाब

प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण के राज्य समन्वयक मनोज पुष्प ने सिवनी समेत 22 जिले के जिला पंचायत सीईओ नोटिस जारी कर इस मामले में कार्रवाई के लिए कहा है। साथ ही कहा कि कार्रवाई की रिपोर्ट पेश की जाए। नोटिस में साफ कहा गया है बंद स्कूल होने के बाद भी गलत फीडिंग कर गड़बड़ी की गई है। ज्ञात हो कि हर स्कूल के प्रभारियों को एएमएस पोर्टल पर मध्यान्ह भोजन वितरण का डेडा फीड करना होता है। इसी पोर्टल के जरिए फर्जीवाड़ा करने की कार्रवाई की जा रही है।

1.22 लाख हैं छात्र

डीपीसी महेेश बघेल के अनुसार जिले में सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के 1.22 लाख छात्र-छात्राएं हैं। उन्होंने कहा कि पोर्टल पर एमडीएम की फीडिंग की गई है वह गलत है। ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण कार्यक्रम के अंतर्गत सरकारी स्कूलों में कक्षा पहली से लेकर आठवीं तक के छात्र-छात्राओं को मध्यान्ह भोजन दिया जाता है। अधिकांश स्कूलों में स्व सहायता समूह एमडीएम का संचालन कर रहे हैं तो वहीं पालक शिक्षक संघ भी एमडीएम बनवा रहे हैं। एमडीएम को लेकर कई गड़बड़ी भी सामने आ चुकी है लेकिन इस पर अफसरों का कोई नियंत्रण नहीं है।

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