जबलपुर: मेहेर बाबा ट्रस्ट की ‘दान की जमीन’ का मामला
- अहमदनगर ट्रस्ट को दान में मिली जमीन का नामांतरण
- आवेदन खारिज, बावजूद इसके निर्माण कार्य शुरू
- ग्राम देवदरा (मंडला) में अहमदनगर ट्रस्ट को दान में दी गई जमीन
डिजिटल डेस्क,कपिल श्रीवास्तव, जबलपुर। एम.एस. ईरानी उर्फ मेहेरबाबा की मंडला जिले के देवदरा स्थित ‘दान की जमीन’ के विवादास्पद सौदों को लेकर प्रशासन का पहला फैसला सामने आया है। मेहेरबाबा ट्रस्ट (मंडला) के प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी द्वारा अहमदनगर (महाराष्ट्र) के श्री अवतार मेहेर बाबा परपेचुअल पब्लिक चेरिटेबल ट्रस्ट को दान में दी गई करीब 4.45 एकड़ जमीन का नामांतरण आवेदन तहसीलदार (मंडला) ने खारिज कर दिया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि देवदरा के खसरा नंबर 159 की जिस जमीन को तहसीलदार ने नामांतरण योग्य नहीं पाया और उक्त कृषि भूमि का अभी डायवर्सन भी नहीं हुआ है, उस पर निर्माण कार्य भी शुरू हो गया है।
बगैर नामांतरण तथा पंचायत की एनओसी के बिना हो रहे निर्माण कार्य पर प्रशासन ने फिलहाल रोक नहीं लगाई है। तहसीलदार अजय श्रीवास्तव मामले को दिखवाने की बात कहते हैं। देवदरा की सरपंच सियाबाई पंद्राम ने कहा, ‘ पंचायत तो मेहेरबाबा ट्रस्ट की समूची जमीन की सौदेबाजी को रोकने तहसीलदार को आवेदन दे कर आपत्ति जता चुकी है, ऐसे में निर्माण कार्य को लेकर हम क्यों अनुमति देंगे?’
इस वजह से नहीं हुआ नामांतरण
अहमदनगर ट्रस्ट का नामांतरण आवेदन खारिज होने की वजह दोनों पक्षों द्वारा इस जमीन से जुड़े वास्तविक तथ्य छिपाना रहा। दानदाता धीरेन्द्र चौधरी (प्रबंधक मंडला ट्रस्ट) और दानगृहीता मेहेरनाथ भाऊ साहेब कलचुरी (लीगल अथॉरिटी तथा ट्रस्टी अहमदनगर ट्रस्ट) ने रजिस्ट्री कराते वक्त यह बात छिपाई कि उक्त जमीन पर किसी भी तरह का कच्चा-पक्का तथा आवासीय-व्यावसायिक निर्माण नहीं है।
कब्जे की बात भी नकारी गई। प्रशासन की जांच में उक्त जमीन पर मंदिर, चबूतरा, पानी की टंकी, फॉरेस्ट की बिल्डिंग एवं अन्य निर्माण पाए गए। 60-70 साल से लोगों के रहवासी आवास होने तथा कृषि कार्य होने की बात भी सामने आई। दानपत्र में भी ‘दान की गई जमीन के कृषि भूमि होने और उस पर व्यावसायिक व आवासीय निर्माण नहीं होने’ का उल्लेख किया जाना पाया।
यह बात भी आई सामने
जांच में यह भी सामने आया कि भूमि स्वामी द्वारा कृषि भूमि पर नियमानुसार बगैर मद परिवर्तन कराए निर्माण कार्य कराया गया है। अनाधिकृत व्यक्तियों द्वारा भी इसी तरह से यहां निर्माण किया गया है। तहसीलदार ने अपने आदेश में स्पष्ट कहा है कि, इन तमाम स्थितियों को देखते हुए ‘वर्तमान में उक्त जमीन का नामांतरण किए जाने से वाद-विवाद बढऩे की संभावना है’ लिहाजा नामांतरण आवेदन स्वीकार नहीं किया जा सकता है।
तान दी बाउंड्रीवॉल
कृषि भूमि का मद परिवर्तन कराए बगैर और स्थानीय निकाय की एनओसी बिना निर्माण किया जाना अवैधानिक है। बावजूद इसके खसरा 158 के शुरूआती कोने से 159 के आखिरी कोने तकमुख्य सडक़ वाले हिस्से में बाउंड्रीवॉल का काम शुरू करा दिया गया है।
अहमदनगर ट्रस्ट के साथ कोर्ट के बाहर हुए समझौते में उक्त जमीन पर विकास कार्य करने का अधिकार वृंदावन एसोसिएट को दिया गया है। वृंदावन एसोसिएट के पार्टनर शैलेष चौरसिया ने इस बात से इंकार किया है कि, उनकी फर्म द्वारा खसरा159 पर किसी भी तरह का निर्माण कार्य कराया जा रहा है।
बकौल शैलेष, ‘अहमदनगर ट्रस्ट को दान में दी गई जमीन पर धीरेन्द्र चौधरी द्वारा निर्माण कार्य कराया जा रहा है।’ ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि उक्त़ भूमि दान देने के बाद उस पर मंडला ट्रस्ट और उसके प्रबंधक धीरेन्द्र चौधरी का कोई अधिकार नहीं रह गया है।
पंचायत का एनओसी से इंकार
देवदरा पंचायत का करीब ढाई दशक से कामकाज संभाल रहे सरंपच सियाबाई के पति शेरसिंह पंद्राम के अनुसार, शैलेष चौरसिया के लोग नक्शा व खसरे की पुरानी नकल के साथ एनओसी के लिए आए थे।
उन्हें मना कर दिया गया है और कहा है कि जब पंचायत की बैठक होगी तब वे उसमें अपनी बात और आवेदन रखें। खसरे की नई नकल भी साथ में लाएं। वैसे भी खसरा नंबर 159 की जमीन कृषि भूमि है, जिसका डायवर्सन हुए बगैर निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती है।