जबलपुर: किसी बॉलीवुड स्क्रिप्ट से कम नहीं स्मिता गृह उद्योग की सक्सेस स्टोरी

  • अभी जैसा न स्टार्टअप, न तजुर्बा फिर भी खड़ा किया कामयाबी का कारोबार
  • स्मिता गृह उद्योग में कई नए प्रयोग किए गए
  • कठिन से कठिन लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा और सक्सेस की बेहद दिलचस्प रियल स्टोरी

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-03 13:42 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। 12th Fail... हाल में ही रिलीज इस फिल्म ने खूब सुर्खियाँ बटोरीं। कठिन से कठिन लक्ष्य को हासिल करने का जज्बा और सक्सेस की बेहद दिलचस्प रियल स्टोरी।

इस फिल्म की पटकथा जिस वक्त लिखी भी नहीं गई होगी, उस वक्त जबलपुर में एक युवा ने रियल लाइफ में इस किरदार को जिया है। कभी ठीक वैसे ही मजदूरों की तरह स्वयं को तपन में झोंका, तो कभी फिल्म के नायक की तरह चक्की के गरदे में खुद को रंग डाला...।

बगैर किसी स्टार्टअप और बगैर किसी विरासती तजुर्बे के गढ़ा फाटक रोड और विजय नगर में खड़े स्मिता गृह उद्योग के जिस प्रतिष्ठान को आज हम देख रहे हैं उसके पीछे भी ऐसी ही न जानें कितनी हैरान करने वाली कहानियाँ हैं।

पैसा न अनुभव, काम आई बस मेहनत

नितिन बताते हैं कि उनके पास कोई खास अनुभव नहीं था और न ही पैसे..। इसके अलावा एक्सपर्ट टीम की कमी ने भी शुरुआती दिनों में परेशानियाँ खड़ी कीं।

कभी उनकी आमदनी महज 2 हजार रुपये तक ही पहुँच पाती थी, ऐसे में नितिन ने खुद के काम के घंटे बढ़ा दिए। 7 से 9 और फिर 14 से 16 घंटे तक परिश्रम किया।

मशीन चालक न आए तो चक्की चलाई, कर्मचारी कम पड़े तो बोरियाँ उठाईं..। वे कभी पैकिंग में जुट जाते तो कभी डिलीवरी बॉय बनकर शहर नाप देते।

जब थक जाते तब भी आराम नहीं, बल्कि दुकान सँभालते। कमाल की बात यह है कि उन्होंने बिजनेस सँभालते हुए ही ग्रेजुएशन कम्प्लीट किया।

उम्र 15 साल, सपने आसमान छूने के

मुट्ठी भर रुपए और 20 बाय 20 फीट के कमरे से शुरू हुए बिजनेस ने ऐसे ही कामयाबी के आँकड़े को पार नहीं किया। दरअसल, पेशे से शिक्षक माता-पिता ने घर से ही इस कार्य का श्रीगणेश किया।

महज 15 साल की उम्र में उनके बेटे नितिन टांकसाले ने वर्ष 1982 में इस व्यवसाय को आज के दौर के स्टार्टअप के तौर पर लिया। वे कंज्यूमर के सामने मसाले बनाकर देने लगे।

जाहिर है यही बात नितिन और उनके कंज्यूमर के बीच सैटिस्फैक्शन का पैमाना बनी। नितिन ईश्वर की कृपा, माता-पिता के संस्कार, बड़े भाई के मार्गदर्शन और ग्राहकों के सहयोग को अपनी सफलता का श्रेय देते हैं।

वे कहते हैं, 'आज हम जब तीसरी ग्राहक पीढ़ी को प्रोडक्ट सौंपते हैं तो इसमें कंज्यूमर का विश्वास चेहरे पर साफ झलकता है।'

हर प्रोडक्ट की लंबी वैरायटी चेन

स्मिता गृह उद्योग में कई नए प्रयोग किए गए। नितिन कहते हैं हल्दी के नाम पर कंज्यूमर के जेहन में पीले पाउडर की सिर्फ एक वैरायटी आती है लेकिन ऐसा नहीं, हमारे स्टार्टअप में यही खास है।

खाने में उपयोग होने वाली हल्दी, फेस में लगाने के लिए अलग वैरायटी और बच्चों को दूध में पिलाने के लिए एक अलग किस्म।

कच्ची हल्दी का अचार भी इनकी पॉपुलर वैरायटी में से एक है। नितिन कहते हैं कि इस तरह की किस्में हर एक प्रोडक्ट पर बनाई गई है।

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