जबलपुर: नगर निगम में राज्य शासन के आदेश की उड़ाई जा रहीं धज्जियाँ
- कई विभागों में यही हाल, कोई देखने वाला नहीं
- शासन ने जिस अधिकारी को मैदानी कार्य से रोका, उसे दे दिए 3-3 मलाईदार पद
- पिछले 10 साल में नगर निगम में आधा दर्जन से अधिक कमिश्नर बदल चुके हैं
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। नगर निगम में भर्राशाही का आलम यह है कि राज्य शासन ने वर्ष 2012 में आदेश जारी कर जिस अधिकारी को मैदानी कार्य देने से रोका था, उसी अधिकारी को नगर निगम ने तीन-तीन मलाईदार पद दे दिए हैं।
हैरान करने वाली बात यह है कि इस दौरान उस अधिकारी के खिलाफ लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार का प्रकरण भी दर्ज किया। इसके बाद भी उस अधिकारी के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। जानकारों का कहना है कि यहाँ नहीं बल्कि कई विभागों में भी ऐसे ही हालात हैं। इसकी पड़ताल होनी चाहिए।
बताया गया है कि नगर निगम जबलपुर में सहायक यंत्री एवं भवन अधिकारी के पद पर कार्यरत भूपेन्द्र सिंह का तबादला 15 नवंबर 2011 को जबलपुर से उज्जैन नगर निगम कर दिया गया था। यह तबादला आर्थिक अनियमितताओं की शिकायत के आधार पर किया गया था।
16 मई 2012 को राज्य शासन ने उनके तबादला आदेश में संशोधन कर उन्हें उप संचालक नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग जबलपुर में इस शर्त पर पदस्थ किया था कि सहायक यंत्री भूपेन्द्र सिंह को मैदानी कार्य सौंपा नहीं जाएगा। कुछ दिनों बाद ही उनका तबादला जबलपुर नगर निगम में कर दिया गया। इसके बाद उन्हें सीधे भवन अधिकारी का पद सौंप दिया गया।
दर्ज है आय से अधिक संपत्ति का मामला
भवन शाखा में की गई अनियमितता के कारण लोकायुक्त ने 25 जनवरी 2019 को भूपेन्द्र सिंह के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामले में पीसी एक्ट की धारा 13 (1)(डी) और 13 (2), 120 बी, 420, 467, 468, 471 और 201 के तहत प्रकरण दर्ज किया था।
एमआईसी ने नहीं दी अभियोजन की स्वीकृति
लोकायुक्त ने जाँच पूरी करने के बाद भूपेेन्द्र सिंह के खिलाफ न्यायालय में चालान पेश करने हेतु अभियोजन की स्वीकृति माँगी। 27 जनवरी 2020 को नगर िनगम की एमआईसी ने अभियोजन की स्वीकृति देने से इनकार कर दिया।
वर्ष 2022 में तत्कालीन निगमायुक्त आशीष वशिष्ठ ने संभागीय आयुक्त के माध्यम से अभियोजन की स्वीकृति दे दी। जानकारों का कहना है कि भूपेन्द्र सिंह ने अभियोजन की स्वीकृति पर न्यायालय से स्थगन आदेश ले लिया, लेकिन आदेश की प्रति उपलब्ध नहीं है।
कमिश्नर बदलते गए, रुतबा बढ़ता गया
पिछले 10 साल में नगर निगम में आधा दर्जन से अधिक कमिश्नर बदल चुके हैं, लेकिन भूपेन्द्र सिंह का रुतबा बढ़ता ही चला गया। वर्तमान में भूपेन्द्र सिंह के पास स्वास्थ्य अधिकारी, होर्डिंग प्रभारी और स्कूलों के निर्माण कार्यों का कार्यपालन यंत्री का पद भी है।
उनके रसूख का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि नगर निगम में सभी विभागों के वाहन खरीदी का काम वर्कशॉप के माध्यम से किया जाता है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग में वाहन खरीदी का काम स्वास्थ्य विभाग करता है।
वर्तमान स्वास्थ्य अधिकारी को मैदानी कार्य नहीं सौंपे जाने के संबंध में राज्य शासन के आदेश एवं अन्य दस्तावेजों को देखा जाएगा, इसके बाद ही कोई निर्णय लिया जा सकेगा।
प्रीति यादव, निगमायुक्त जबलपुर
राज्य शासन द्वारा मैदानी कार्य न दिए जाने के संबंध में न्यायालय की शरण ली गई थी। न्यायालय ने इस मामले में मैदानी कार्य देने या नहीं देने, इसका अधिकार नियुक्तिकर्ता अधिकारी पर छोड़ा था। नियुक्तिकर्ता अधिकारी के आदेश पर ही वे मैदानी कार्य कर रहे हैं। लोकायुक्त के प्रकरण में उन्हें स्थगन मिला हुआ है। इस मामले में लोकायुक्त ने खात्मा भी पेश कर दिया है।
- भूपेन्द्र सिंह, स्वास्थ्य अधिकारी
10 महीने में होने वाले हैं सेवानिवृत्त, शुरू से रहा विवादों से नाता
बताया गया है कि भूपेन्द्र सिंह नवंबर 2024 में सेवानिवृत्त होने वाले हैं। उन्होंने वर्ष 1990 में रीवा नगर निगम से नौकरी की शुरुआत की थी। रीवा नगर निगम में आर्थिक अनियमितताओं के बाद वर्ष 2006 में उनका तबादला जबलपुर नगर निगम कर दिया गया।
लगातार शिकायतों के बाद उन्हें वर्ष 2011 में जबलपुर से उज्जैन नगर निगम भेज दिया गया, लेकिन उन्होंने तबादला आदेश में संशोधन कराकर नगरीय प्रशासन विभाग संभागीय कार्यालय जबलपुर आ गए। इसके 6 महीने बाद उन्होंने जबलपुर नगर निगम में अपना तबादला करा लिया। लोकायुक्त में प्रकरण दर्ज होने के बाद भी वे पिछले 13 साल से जबलपुर नगर निगम में ही जमे हुए हैं।
ऐसे और भी अधिकारी
नगर निगम में ऐसे कई अधिकारी हैं जिनके खिलाफ लोकायुक्त व ईओडब्ल्यू में जाँच चल रही है। इसमें भवन अधिकारी अजय शर्मा, उद्यान विभाग के कार्यपालन यंत्री आदित्य शुक्ला व अन्य अधिकारी शामिल हैं।