जबलपुर: आयकर की धारा-43 बीएच को समाप्त होना चाहिए

  • महाकोशल चैम्बर ने राष्ट्रपति से की हस्तक्षेप की माँग
  • नया उपबंध जोड़कर विलम्ब से हुए भुगतान पर आयकर देने का प्रावधान लाया गया है
  • आचार संहिता काल में सरकार ने इस प्रकार का निर्णय कैसे ले लिया यह भी विचारणीय है।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-03-30 10:27 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। महाकोशल चैम्बर ने महामहिम राष्ट्रपति को पत्र प्रेषित कर माँग की है कि आयकर की धारा-43 बीएच को समाप्त किया जाए। इससे न केवल व्यापार प्रभावित होगा बल्कि आम आदमी पर भी इसका विपरीत असर पड़ेगा। आचार संहिता काल में सरकार ने इस प्रकार का निर्णय कैसे ले लिया यह भी विचारणीय है।

महाकोशल चैम्बर के प्रवक्ता हेमराज अग्रवाल ने बताया कि सूक्ष्म एवं लघु उद्योगों के नियमित भुगतान के उद्देश्य से एमएसएमई एक्ट 2006 की धारा-15 में भुगतान की सीमा 45 दिवस निर्धारित है, साथ ही धारा-16 के अंतर्गत विलंबित भुगतान पर बैंक ब्याज दर से तीन गुना चक्रवर्ती ब्याज का प्रावधान दिया गया है।

शासन द्वारा आयकर की धारा-43 बीएच में एक नया उपबंध जोड़कर विलम्ब से हुए भुगतान पर आयकर देने का प्रावधान लाया गया है, जो कि न्याय-संगत नहीं है। चैम्बर अध्यक्ष रवि गुप्ता, राजेश चंडोक, शंकर नागदेव, युवराज जैन गढ़ावाल, अखिल मिश्र, अनूप अग्रवाल, अनिल जैन पाली, हरनारायण सिंह राजपूत आदि ने इस समस्या के समाधान की माँग की है।

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