जबलपुर: मेडिकल कॉलेज समेत जिला अस्पताल में बढ़ा दबाव

  • विशेषज्ञों के अनुसार सिर्फ ठंड में कराना भ्रम
  • ठंड में बढ़ी 15 से 20 प्रतिशत इलेक्टिव सर्जरी
  • विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक भ्रम है कि सर्जरी ठंड के मौसम में करानी चाहिए।

Bhaskar Hindi
Update: 2024-02-10 09:22 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। ठंड के मौसम में अस्पतालों में इलेक्टिव सर्जरी कराने वाले मरीजों की संख्या हर साल बढ़ जाती है। नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पताल विक्टाेरिया समेत निजी अस्पतालों में सर्जरी की संख्या में इजाफा देखने मिल रहा है।

आँकड़ों की बात करें तो इलेक्टिव सर्जरी (इमरजेंसी को छोड़कर) 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसी तरह आँखाें से जुड़ी मोतियाबिंद जैसी सर्जरी की संख्या भी अधिक देखने मिलती है। हालाँकि विशेषज्ञों का कहना है कि यह एक भ्रम है कि सर्जरी ठंड के मौसम में करानी चाहिए।

आज की अत्याधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के चलते किसी भी सीजन में सर्जरी कराई जा सकती है, लेकिन भ्रम के चलते लोग सर्जरी को टालते रहते हैं और मर्ज बढ़ा लेते हैं।

ठंड में ही सर्जरी कराना भ्रम

जिला अस्पताल के मेडिसिन स्पेशलिस्ट डॉ. आरके चौधरी ने बताया कि ओपीडी में ऐसे मरीज ज्यादा आ रहे हैं, जिन्हें आँख एवं अन्य तरह की सर्जरी करानी है। ठंड में ही सर्जरी करानी चाहिए, यह भ्रम है।

आज अच्छी एंटीबायोटिक दवाएँ उपलब्ध हैं, जिनसे मरीज को कोई परेशानी नहीं होती। वहीं खाँसी, सर्दी, बुखार, डायबिटीज, हाइपरटेंशन के मरीज भी आ रहे हैं, लेकिन इनकी संख्या सामान्य है।

नेत्र रोग विभाग में दोगुने हुए सर्जरी के मरीज

मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. परवेज सिद्दीकी कहते हैं कि किसी जमाने में ऐसा होता था कि मोतियाबिंद के ऑपरेशन में टाँके लगते थे, तो टाँके पकने का खतरा रहता था।

ऐसे में लोग ठंड के मौसम में सर्जरी कराते थे। वहीं यह भ्रम पैदा हो गया है कि सर्जरी ठंड के मौसम में ही करानी चाहिए। जबकि आज के समय में ऐसा जरूरी नहीं है।

इसके बाद भी नेत्र रोग विभाग में सर्जरी की संख्या दोगुनी हो जाती है। सबसे ज्यादा 80 प्रतिशत मोतियाबिंद की सर्जरी होती है।

बढ़ जाता है सर्जरी विभाग पर दबाव

मेडिकल कॉलेज के पीडियाट्रिक सर्जन डॉ. विकेश अग्रवाल कहते हैं कि गर्मी और बारिश में टाँके पक जाते हैं, इसका कोई वैज्ञानिक आधार नहीं है। ऑपरेशन का तापमान से कोई संबंध नहीं होता, फिर भी समाज में ऐसी विचारधारा है कि ठंड में इलेक्टिव सर्जरी करानी चाहिए।

इसलिए लोग सर्जरी को टालते हैं। ऐसे में मर्ज भी बढ़ जाता है। इसलिए इस मौसम में सर्जरी की संख्या 15 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है और सर्जरी विभाग पर ज्यादा दबाव रहता है।

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