यात्री कम: अब सर्वे शुरू, रीवा तक चल सकती है जबलपुर वंदे भारत
ट्रेन का किराया कम करने पर भी हो रहा विचार
डिजिटल डेस्क,जबलपुर।
जबलपुर से भोपाल और भोपाल से जबलपुर के साथ ही इंदौर रूट पर हाल ही में चलाई गई वंदे भारत ट्रेन में यात्री संख्या कम होने के कारण रेल प्रशासन अब रीवा तक इसे चला सकता है। इसी तरह इंदौर से भोपाल से बीच चल रही वंदे भारत एक्सप्रेस को खजुराहो तक बढ़ाकर पर्यटकों के रूप में ट्रेन को पर्याप्त संख्या में सवारियाँ मिल सकेंगी। इसके लिए सर्वे कराया जा रहा है। वहीं दूसरी ओर रेलवे बोर्ड स्तर पर इस पर विचार किया जा रहा है कि जिन रूटों पर वंदे भारत ट्रेन संचालन के कुछ घंटे पहले या बाद में कोई ट्रेन चल रही है और उसका किराया कम है तो उस स्थिति में वंदे भारत ट्रेन के किराए में कमी की जा सकती है। इस लिहाज से जबलपुर से भोपाल रूट का किराया कम होने की संभावना है।
जनशताब्दी के मुकाबले किराया काफी अधिक
जबलपुर से भाेपाल के लिए सुबह 5.30 बजे जनशताब्दी एक्सप्रेस चलती है। इसका किराया महज 650 रुपए है। वहीं आधे घंटे बाद सुबह 6 बजे वंदे भारत ट्रेन चलाई जा रही है। जिसका किराया 1040 रुपए और 1750 रुपए तय किया गया है, जो जनशताब्दी के मुकाबले दो से तीन गुना अधिक है। इस लिहाज से बड़ी संख्या में लोग वंदे भारत की बजाय जनशताब्दी से सफर करना ज्यादा पसंद कर रहे हैं। यही वजह है कि वंदे भारत को पर्याप्त यात्री नहीं मिल रहे हैं।
रेलवे बोर्ड स्तर पर भी किराया कम करने की तैयारी
सूत्रों का कहना है कि वंदे भारत ट्रेन को वर्तमान में काफी कम यात्री मिल रहे हैं। जून महीने में भोपाल से जबलपुर वंदे भारत एक्सप्रेस में केवल 29 प्रतिशत सीटें ही भरी थीं, इसी प्रकार इंदौर-भोपाल वंदे भारत एक्सप्रेस में केवल 21 प्रतिशत और जबलपुर से भोपाल की यात्रा में औसतन 30 प्रतिशत ही सीटें भर रही हैं। वंदे भारत ट्रेन काे पर्याप्त यात्री नहीं मिलने के पीछे की मूल वजह अन्य ट्रेनों की बजाय इसका किराया अधिक होना है। बताया जाता है कि रेलवे बोर्ड स्तर पर इस पर विचार शुरू हो गया है कि इस ट्रेन का किराया कम किया जाए।
ब्राॅडगेज पर रायपुर तक चले तो मिल सकते हैं यात्री
जबलपुर से भाेपाल रूट पर अन्य ट्रेनों की उपलब्धता और जबलपुर से दुर्ग के लिए मात्र एक अमरकंटक एक्सप्रेस होने के कारण अब इस बात की भी माँग उठ रही है कि वंदे भारत ट्रेन को ब्राॅडगेज पर जबलपुर से गोंदिया होते हुए रायपुर तक चलाया जाए, तो काफी यात्री मिल सकते हैं और अमरकंटक का विकल्प भी मिल जाएगा।