Jabalpur News: गोंदवाली साइडिंग में जब्त कोयले का मालिक कौन ज्वाॅइंट रिपोर्ट में भी खुलासा नहीं, नीलाम होगा कोयला
- लंंबे समय से इस साइडिंग में काम करने वाली कंपनियों की खुफिया तरीके से जाँच करा रहा रेलवे
- प्रकरण में निलंबित अधिकारियों को चार्जशीट देने की तैयारी
- साइडिंग से जब्त किया गया कोयला किसका है यह सुनिश्चित नहीं हो पाया है।
Jabalpur News: पश्चिम मध्य रेलवे जबलपुर मंडल के बरगवाँ स्टेशन के समीप गोंदवाली लोडिंग साइडिंग से जब्त किए गए एक रैक कोयला का मालिक कौन है इस बात की रेल प्रशासन अभी तक पुख्ता जानकारी नहीं जुटा पाया है। रेलवे की काॅमर्शियल, ऑपरेटिंग, इंजीनियरिंग विभाग के साथ ही आरपीएफ की संयुक्त टीम द्वारा मौके की जाँच कर जो ज्वाॅइंट रिपोर्ट सौंपी गई है उसमें भी इस बात का खुलासा नहीं हो सका है कि साइडिंग में मिला कोयले का स्टॉक किसका है।
वहीं रेलवे की जमीन पर बिना अनुमति कौन कोयला रख रहा था इसकी जानकारी नहीं मिलने के बाद यह तो स्पष्ट हो गया है कि यहाँ अधिकारियों की संलिप्तता के बिना यह कार्य संभव नहीं था, जिसके चलते रेल प्रशासन इस मामले में निलंबित किए गए तीन अधिकारियों को चार्जशीट देने की तैयारी कर रहा है, वहीं जब्त कोयले काे नीलाम करने की भी तैयारी की जा रही है। वहीं इस साइडिंग पर लंबे समय से लोडिंग का काम कर रही महाकाल कंपनी के साथ ही पूर्व में भी यहाँ काम कर चुकी लोडिंग कंपनियों की खुफिया तरीके से जाँच शुरू कर दी गई है।
गाैरतलब है कि पमरे की गोंदवाली साइडिंग में पिछले दिनों रेलवे की विजिलेंस टीम ने छापा की कार्रवाई कर करीब एक रैक कोयला जब्त किया है। रेलवे साइडिंग में कोयला रखे जाने संबंधी रेलवे से कोई अनुमति प्रमाण नहीं मिलने पर प्रथम दृष्टया यहाँ पदस्थ स्थानीय अधिकारियों की अनियमितता सामने आई जिसके चलते तीन अधिकारी चीफ काॅमर्शियल इंस्पेक्टर नंदन कुमार, चीफ ट्रैफिक इंस्पेक्टर व स्टेशन अधीक्षक पद पर पदस्थ रामेश्वर लाल मीना और चीफ गुड्स सुपरवाइजर अभिषेक शुक्ला को निलम्बित कर दिया गया है। इनके विरुद्ध जाँच की जा रही है जिसके बाद चार्जशीट तक दी जा सकती है
बना कोल डम्पिंग यार्ड, अधिकारियों को जानकारी तक नहीं
जानकारों का कहना है कि रेलवे के नियमों के अनुसार रेलवे साइडिंग पर रैक इंडेंट मिलने से कुछ घंटे पूर्व स्थिति के अनुसार समय दिया जाता है। उसी समय अवधि में कोयले की मात्रा काे रेलवे साइडिंग पर लाया जाना चाहिए। इतना ही नहीं पहले से निर्धारित किए गए समय पर कोयले को रैक में लोडकर डिस्पैच कर दिया जाना चाहिए था, लेकिन कोयला परिवहनकर्ताओं द्वारा रेलवे साइडिंग को कोल डम्पिंग यार्ड की तरह उपयोग किए जाने की भी अनियमितता पाई गई है। इस मामले में किसी भी लोडिंग कंपनी के सामने नहीं आने पर फिलहाल तो स्थानीय अधिकारियों को ही दोषी माना जा रहा है कि उनकी जानकारी के बिना यहाँ कोयला डम्प कैसे हो रहा था।
हक जताने कोई नहीं आया, अब नीलामी की तैयारी
बड़े पैमाने पर जब्त कोयला को लेकर पिछले तीन-चार दिनों से हो रही जाँच में कोई फर्म सामने नहीं आई है जिससे यह साबित हो सके कि इस काेयले का मालिक कौन है। इस कोयले को लेकर हक जताने भी कोई आगे नहीं आया है जिसके चलते रेलवे अब इसकी नीलामी की तैयारी कर रहा है।
साक्ष्य के अभाव में नहीं हो रही कार्रवाई
रेल साइडिंग में अब तक सिंगल ट्रांसपोर्टर महाकाल के द्वारा ही ट्रांसपोर्टिंग की जाती रही है। कई पाॅवर प्लांटों के डीओ पर कोयला डिस्पैच किया जाता रहा है। बिना अनुमति कोयला रखने को लेकर इस फर्म पर भी उंगली उठ रही है, लेकिन साक्ष्य के अभाव में विजिलेंस टीम भी उस पर किसी तरह की कार्रवाई से बच रही है।
झाबुआ पाॅवर का है यह कोयला| सूत्र बताते हैं कि यह कोयला झाबुआ पाॅवर प्लांट का है। डीओ (डिस्पैच ऑर्डर) झाबुआ पाॅवर का होने के कारण ट्रांसपोर्टर दावा भी नहीं कर पा रहा है। सूत्र यह भी बताते हैं कि यह कोयला करीब डेढ़ साल से कोल यार्ड में पड़ा हुआ है। डीओ होल्डर और ट्रांसपोर्टर के विवाद में यह कोयला नहीं भेजा सका था। उसी समय से दोनों के बीच लिखा-पढ़ी चल रही है।
साइडिंग से जब्त किया गया कोयला किसका है यह सुनिश्चित नहीं हो पाया है। नियमानुसार कोयले को सील कर नीलामी की कार्रवाई की जाएगी।
-शशांक गुप्ता, सीनियर डीसीएम- टू,