जबलपुर: लाजवाब टेस्ट की तलाश में झोंका खुद को और बना दिया ब्रांड
- सूर्या चाय के बेजोड़ स्वाद के करोड़ों हैं दीवाने, स्वाद और संतुष्टि का अनोखा फाॅर्मूला
- वर्ष 1993 में मात्र 16 साल की उम्र में ही ख़ुद ने मार्केटिंग शुरू की।
- 2007 में सूर्या गोल्ड के नाम से अपना खुद का ब्रांड मार्केट में उतारा।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। सूरज की पहली किरण की शुरुआत से टेस्ट कैसा होना चाहिए? 32 साल पहले एक युवा उद्यमी ने इस सवाल का जवाब तलाशने के लिए चाय पर न जाने कितने फार्मूले तैयार किए।
विरासत में मिले अनुभव और मौजूदा दौर की डिमांड का ऐसा कॉम्बिनेशन बनाया कि चाय का एक बेजोड़ स्वाद सामने आया और इसे नाम दिया सूर्या गोल्ड चाय। एक छोटी शुरुआत से लेकर ब्रांड बनने तक के कई दिलचस्प वाक्ये हैं।
दिगंबर एजेंसी का आरंभ 17 दिसंबर 1973 में स्व. श्री फ़ूलचंद और उनके बेटे अशोक कुमार जैन ने किया। लेकिन उस जमाने में इस प्रतिष्ठान से कई वर्षों तक बीड़ी, सिगरेट और ब्रांडेड चाय का व्यापार होता रहा। इसके बाद अशोक कुमार जैन के पुत्र अनुभव जैन ने बिजनेस की कमान संभाली।
वर्ष 1993 में मात्र 16 साल की उम्र में ही ख़ुद ने मार्केटिंग शुरू की। अनुभव कई कंपनियों का डिस्ट्रीब्यूशन क्रमशः करते रहे। लेकिन उनके जहन में एक बात हमेशा दौड़ती रही कि एक ब्रांड ऐसा हो जो सबसे अलग हो और अपना भी हो। दादा जी के आदर्श, पिताजी के तजुर्बे, और अपने दोनों छोटे भाई अभिषेक, अंकित के साथ 2007 में सूर्या गोल्ड के नाम से अपना खुद का ब्रांड मार्केट में उतारा।
नाम भर नहीं, वाकई गोल्ड है
अभिषेक जैन बताते हैं कि देश के सबसे गुणवत्ता वाले चाय के बागानों से चाय चुन-चुन कर लाई जाती है। इसके बाद चाय के विशेषज्ञ और अभिषेक जैन स्वयं हजारों सैंपल को टेस्ट करके छाँटते हैं। कड़े परीक्षण के उपरांत उत्तम क्वालिटी की चाय खोजी जाती है।
इसके बाद ब्लेंडिंग की प्रक्रिया शुरू होती है जिसमें चाय को उसके रंगत, स्वाद, गाढ़ापन, लिकर एवं खुशबू, आदि लक्षणों के आधार पर आनुपातिक मात्रा के आधार पर मिलाया जाता है।
सूर्या गोल्ड चाय के साथ-साथ बजट फ्रेंडली डायमंड सुपर, डायमंड रेड, रसभरी चाय और तुलाराम चौक के आउटलेट से लूज में भी आसाम के विभिन्न गार्डन की चाय उपलब्ध कराई जाती है। 50 वर्षों के तजुर्बे के बाद तैयार सुकून चाय अपने आप में प्रीमियम क्वालिटी चाय है।
संस्कारधानी में बनी यह चाय अपने संस्कारों को संजोए हुए है। हर एक ब्लेंड की शताब्दीपुरम, विजय नगर स्थित फैक्ट्री में नर्मदा जल से टेस्टिंग होती है।
दो साल में ही एक और पड़ाव
शुरुआती दौर में सूर्या गोल्ड 250 ग्राम और 1 किलो के पैक में लांच की गई। पिता के मार्ग दर्शन पर मार्केट का बारीकी से मुआयना करने के बाद अनुभव से समझा कि कंज्यूमर की डिमांड कुछ और भी है। लिहाजा, 10 रु. के छोटे पैकेट से लेकर 5 किग्रा तक पैकिंग के साथ सूर्या गोल्ड बाजार में फैल गई।
प्रदेश के कोने-कोने में
दिगंबर टी इंडस्ट्रीज़ इसके बाद भी अपने कारोबार को बढ़ाने कि दिशा में नए प्रयोग करती रही। लीफ (लाल पैकेट वाली दानेदार) और डस्ट (हरे पैकेट वाली होटल व्यवसायियों के लिए उपयुक्त) चाय में सूर्या गोल्ड चाय, सूर्या यलो एवं रसभरी जैसे ब्रांड प्रदेश के कोने-कोने में छाने लगे। इंडस्ट्री हर रोज नए टारगेट तय कर आज भी अपने कारोबार को बढ़ाने में जुटी हुई है।
सक्सेस के मंत्र
बेहतरीन क्वालिटी
अनुभव बताते हैं कि बेहतरीन क्वालिटी, वाज़िब दाम, व्यवस्थित मार्केटिंग, समय पर सप्लाई और काबिल सेल्स टीम की वजह से बाज़ार ने हमें सहज स्वीकार किया। सिर्फ 11 लोगों के साथ इस सपने को जमीन पर उतारने का जो प्रयास शुरू हुआ वो आज 100 से ज्यादा परिवारों के साथ चल रहा है।
मनपसंद वैरायटी
हेल्थ को लेकर बेहद गंभीर रहने वाले कंज्यूमर में विभिन्न स्वाद के साथ ग्रीन टी, ब्लू टी काफी प्रचलित हो रही हैं। खट्टी-मीठी चाय अपने आप में एक अजब फॉर्मूला है जो हर मौसम, खासकर गर्मियों में बहुत पसंद की जाती है।