जबलपुर: डामर के ड्रम में घुसा लकड़बग्घा, सड़क से चिपका
- बरगी के कालादेही के पास निर्माणाधीन रोड की साइट पर घटना, रेस्क्यू के बाद जंगल पहुँचाया
- करीब एक घंटे तक लकड़बग्घे के शरीर में पानी डाला गया जिसके बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हुआ
- सूचना मिलने पर वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुँची और गुटरी को डुमना नेचर पार्क के अंदर सुरक्षित छोड़ा गया।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। भीषण गर्मी के चलते पालतू पशु हों या जंगली जानवर इन दिनों हर किसी की एक ही जरूरत है, पानी जिसकी तलाश में वन्य प्राणी जंगलों से िनकलकर रहवासी इलाकों में पहुँच रहे हैं। ऐसे में वन्य प्राणियों की जान पर भी खतरा मंडराता है।
ऐसी ही एक घटना में गुरुवार की सुबह बरगी के कालादेही गाँव के पास एक लकड़बग्घा पानी की तलाश में जंगल से निकलकर रोड निर्माण की साइट में पहुँचा। जहाँ एक ड्रम के आसपास पानी फैला देखकर लकड़बग्घा ड्रम के अंदर चला गया, लेकिन ड्रम में पानी की जगह डामर भरा हुआ था।
चूँकि डामर ठंडा था, जिसके कारण लकड़बग्घा झुलसा तो नहीं लेकिन उसके पूरे शरीर में डामर लग गया। जैसे-तैसे वो ड्रम से बाहर तो निकल आया लेकिन सड़क से चिपक गया। इसी दौरान कुछ ग्रामीण वहाँ पहुँच गए और काले रंग से लिपटे लकड़बग्घे को देखकर लकड़बग्घे पर पथराव शुरू कर दिया।
जिसमें लकड़बग्घा गंभीर रूप से घायल होकर अचेत हो गया। गाँव के पंच शिवरचरण ने ग्रामीणों को पथराव करने से रोका और वन्य प्राणी विशेषज्ञ मनीष कुलश्रेष्ठ को सूचना देकर बुलाया। श्री कुलश्रेष्ठ के अनुसार लकड़बग्घा प्यासा होने के साथ पत्थरबाजी में बुरी तरह जख्मी हो गया था, उसके शरीर से डामर साफ किया।
इस दौरान उसे पानी के साथ ग्लूकोज दिया गया, जिससे उसकी हालत में सुधार आया। करीब एक घंटे तक लकड़बग्घे के शरीर में पानी डाला गया जिसके बाद वह पूरी तरह स्वस्थ हुआ फिर उसे जंगल में छोड़ा गया।
श्वानों ने गुटरी को घेरा
डुमना के समीप ग्राम मेहगवाँ के पास गुरुवार की शाम करीब 6 बजे पानी की तलाश में जंगल से भटककर पहुँची एक गुटरी को श्वानों के झुंड ने घेर लिया। जान बचाने के लिए गुटरी एक मकान में घुस गई। सूचना मिलने पर वन विभाग की रेस्क्यू टीम मौके पर पहुँची और गुटरी को डुमना नेचर पार्क के अंदर सुरक्षित छोड़ा गया।
मटके से लिपटा साँप | राँझी बस्ती में रहने वाली कविता राजपूत के घर में रखे मटके से एक 8 फीट लंबा साँप लिपटा हुआ था। सूचना मिलने पर सर्प विशेषज्ञ हरेन्द्र शर्मा ने पहुँचकर साँप को पकड़ा और पाटबाबा के जंगल में छोड़ा।