जबलपुर: जब मिट्टी ही अच्छी नहीं होगी तो अनाज कैसे पोषक होगा
- गर्मी में खेत की मिट्टी की जाँच करा लें, किसानों को कृषि विभाग की सलाह
- इससे पता चलता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है।
- किसान रासायनिक उर्वरक एवं पोषक तत्व संतुलित मात्रा में अपने खेतों में डालकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग ने जिले के किसानों को अच्छा उत्पादन प्राप्त करने के लिए मई माह के दौरान खेत की मिट्टी का परीक्षण कराने तथा परीक्षण में निकले निष्कर्षों के आधार पर ही फसल में उर्वरकों के इस्तेमाल करने की सलाह दी है।
किसान कल्याण तथा कृषि विभाग के उपसंचालक रवि आम्रवंशी के मुताबिक उर्वरक तथा कीटनाशकों के बेहिसाब उपयोग से खेतों की मृदा का स्वास्थ्य खराब होता जा रहा है। उन्होंने मई माह को मृदा परीक्षण के लिए सर्वोत्तम समय बताते हुए कहा है कि यदि मिट्टी के स्वास्थ्य की रक्षा नहीं की जाएगी और उसका ध्यान नहीं रखा जाएगा तो अच्छा पोषण युक्त खाद्यान्न, दलहन, तिलहन, फल-सब्जी तथा पशुओं के लिए पौष्टिक चारा प्राप्त नहीं किया जा सकता।
उपसंचालक किसान कल्याण तथा कृषि विकास के अनुसार फसलों का बेहतर उत्पादन प्राप्त करने के लिए मिट्टी में 16 पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसमें से कार्बन, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन पानी एवं वायुमंडल के माध्यम से प्राप्त होता है।
जबकि नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश मुख्य पोषक तत्व होते हैं जिनकी पूर्ति उर्वरकों के माध्यम से की जाती है। इनके अलावा कम आवश्यकता वाले कैल्शियम, मैग्नीशियम सल्फर जैसे द्वितीयक पोषक तत्व तथा जिंक, आयरन, कॉपर, बोरॉन, मैंगनीज, मोलिब्डेनम एवं क्लोरीन जैसे सूक्ष्म पोषक तत्वों की पूर्ति मृदा विश्लेषण के आधार पर ही करनी चाहिए।
मिट्टी की जाँच में इन्हीं 12 पोषक तत्वों की जाँच की जाती है। इससे पता चलता है कि मिट्टी में कौन-कौन से पोषक तत्वों की कमी है। इसके बाद किसान रासायनिक उर्वरक एवं पोषक तत्व संतुलित मात्रा में अपने खेतों में डालकर अच्छा उत्पादन प्राप्त कर सकते हैं।
श्री आम्रवंशी के मुताबिक फसल कटाई के बाद खेत के बीच से और चारों कोनों से फावड़ा या खुरपी की सहायता से अंग्रेजी वर्णमाला के वी अक्षर के आकार का कट लगाकर ऊपर से नीचे की तरफ 6 इंच की मिट्टी के नमूने लेने चाहिए तथा सभी नमूनों की अच्छी तरह मिलाकर उसमें से 500 ग्राम मिट्टी एक कपड़े की थैली में भरकर जाँच हेतु कृषि विभाग की प्रयोगशाला भेजनी चाहिए या अपने क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारियों को देनी चाहिए। उन्होंने बताया कि प्रयोगशाला में मृदा का विश्लेषण निःशुल्क किया जाता है।