जबलपुर: बाल व खाल के टुकड़ों से होगी वन्य जीवों की लैंगिक पहचान
- लाइफ सेंटर में शुरू हुआ नई तकनीक का उपयोग
- इनोवेशन: वेटरनरी स्थित स्कूल ऑफ वाइल्ड
- एक महीने पुराने मादा तेंदुए के शव की पहचान घटनास्थल पर मिले खाल के छोटे से टुकड़े से हुई।
डिजिटल डेस्क,जबलपुर। वन्य प्राणियों में फैलने वाली बीमारियों के साथ उनकी मौत के कारणों का पता लगाने के लिए वेटरनरी विवि के स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ सेंटर मंे तरह-तरह के रिसर्च और प्रयोग किए जाते रहते हैं।
लंबे समय बाद जंगलों के भीतरी इलाकों में मिलने वाले वन्य प्राणियों के शवों की लैंगिक पहचान करना पहले नामुमकिन था। लेकिन अब वेटरनरी विशेषज्ञों ने इंसानों के पोस्टमार्टम में होने वाली तकनीकों को वन्य जीवों के पीएम में भी उपयोग करते हुए नई तरह की डीएनए जाँच तैयार की है, जिससे बाल और खाल के बारीक टुकड़े से उनकी लैंगिक (मेल-फीमेल) पहचान कर ली जाएगी। इतना ही नहीं इस विधि के जरिए वन्य प्राणियों की अनुमानित उम्र व मृत्यु का असली कारण भी स्पष्ट हो सकेगा।
कारगर परिणाम सामने आए
स्कूल ऑफ वाइल्ड लाइफ सेंटर में इस नई तकनीक का उपयोग हाल ही में कई वन्य प्राणियों की मौत के मामले में किया गया। जिससे कारगर परिणाम सामने आए हैं। जिसमें सागर जिले में एक महीने पुराने मादा तेंदुए के शव की पहचान घटनास्थल पर मिले खाल के छोटे से टुकड़े से हुई।
इसी तरह रीवा से आए एक नर शावक तेंदुए की पहचान उसके महीन बाल से की गई। वैज्ञानिकों का मानना है कि ये रिसर्च का प्राथमिक दौर है, लेकिन समय के साथ इस तकनीक में कई और नए तरीकों का प्रयोग किया जाएगा, जिससे कई महत्वपूर्ण और रोचक जानकारियाँ सामने आएँगी।
न्यायालयीन प्रक्रिया में साबित होगा मजबूत सबूत
वन्य प्राणियों के शिकार और एक्सीडेंट जैसी घटनाओं के प्रकरण में इस तकनीक के जरिए सामने आने वाली रिपोर्ट प्रकरणों में जाँच के साथ न्यायालयीन प्रक्रिया में भी मजबूत सबूत के तौर में काम आएगी।