जबलपुर: जहाँ से अलग किए थे नर्सिंग-पैरामेडिकल कोर्स, फिर वहीं पर हो रही जोड़ने की तैयारी

  • मेडिकल साइंस विवि से अलग होंगे नर्सिंग-पैरामेडिकल संकाय
  • उच्च शिक्षा विभाग के विश्वविद्यालयों से होगा संचालन
  • छात्र संगठनों ने इस निर्णय का विरोध किया

Bhaskar Hindi
Update: 2024-01-25 09:30 GMT

डिजिटल डेस्क,जबलपुर। प्रदेश में अब नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स की पढ़ाई उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों में होगी। ऐसा नहीं है कि यह पहली बार हो रहा है।

प्रदेश की एकमात्र मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी की स्थापना से पहले ये दोनों संकाय क्षेत्रीय विश्वविद्यालयों के माध्यम से संचालित होते रहे लेकिन कई तरह की समस्याएँ, विशेषज्ञों की कमी आदि के चलते इन्हें यहाँ से अलग कर मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी से जोड़ा गया और एक बार फिर इन्हें मेडिकल यूनिवर्सिटी से अलग करने का निर्णय लिया गया है।

जानकारों का कहना है, कि नर्सिंग और पैरामेडिकल कोर्स, सीधे तौर पर चिकित्सा और स्वास्थ्य से जुड़े हैं, ऐसे में इन्हें संबंधित यूनिवर्सिटी से अलग करना आश्चर्य में डालने वाला है।

मप्र मेडिकल साइंस यूनिवर्सिटी में करीब 300 कॉलेज संबद्ध हैं, जिसमें से सबसे ज्यादा संख्या नर्सिंग और पैरामेडिकल कॉलेजों की है।

ऐसे में इन कॉलेजों को अलग करने बाद एमयू का कद घटना तय है। राज्य सरकार के इस निर्णय के बाद से अलग-अलग तबकों में चर्चा का बाजार गर्म है। छात्र संगठनों ने भी इस निर्णय का विरोध किया है।

उनका कहना है कि पहले से ही विभिन्न समस्याओं से जूझ रहे नर्सिंग-पैरामेडिकल के सामने नई व्यवस्था के बाद और समस्याएँ बढ़ जाएँगी। ऐसे में दोनों संकायों को एमयू के साथ ही रखने की माँग रखी है।

नर्सिंग छात्र संगठन के गोपाल पाराशर का कहना है कि मेडिकल विवि में योग्य अधिकारियों की नियुक्ति किए जाने और नर्सिंग काउंसिल में आवश्यक सुधार किए जाने की जरूरत है, ताकि नर्सिंग-पैरामेडिकल छात्रों की समस्याएँ दूर हों। दोनों संकायों को एमयू से अलग करना, कद घटाने जैसा है।

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